Friday Nov 21, 2025

रिटायर्ड CAO भगवत प्रसाद पांडेय द्वारा लिखी पुस्तक का अद्वैत आश्रम मायावती में आश्रम के अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानंद जी महाराज ने किया विमोचन        

देवभूमि टुडे 

चंपावत/मायावती आश्रम। अद्वैत आश्रम मायावती में आज 20 नवंबर को ‘मेरी साठ बाल कविताएं’ का विमोचन हुआ। राजस्व विभाग के अवकाश प्राप्त मुख्य प्रशासनिक अधिकारी एवं साहित्यकार भगवत प्रसाद पांडेय द्वारा रचित इस पुस्तक का विमोचन मायावती अद्वैत आश्रम के अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानंद जी महाराज ने किया। कहा कि यह कृति हिमालयी लोक संस्कृति, प्रकृति और बाल मन की संवेदनाओं को सरल, सहज और प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत करती है। 

प्रबुद्ध भारत के संपादक स्वामी दिव्यकृपानंद ने भी पुस्तक की खूबियां बताते हुए कहा कि पांडेय की लेखनी पाठकों को उनके परिवेश, प्रकृति और नैसर्गिक संस्कारों से जोड़ने की अद्भुत क्षमता रखती है। यह पुस्तक बच्चों के मन में कल्पना, संवेदना और जिज्ञासा को विकसित करने का सशक्त  माध्यम बनेगी। विमोचन कार्यक्रम में साहित्य प्रेमियों और विद्वानों ने इसे बाल साहित्य की महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया और कहा कि यह संग्रह पाठकों को पढ़ने, सोचने, समझने की प्रेरणा देगा। 

निशांत पुनेठा के संचालन में हुए  कार्यक्रम में अद्वैत आश्रम प्रबंधक स्वामी सुहृदयानंद, एसोसिएट एडिटर ज्ञानिष्ठानंद, डॉ. कीर्ति बल्लभ सगटा, डॉ. तिलक राज जोशी, डॉ. सुनील गोडबोले, डॉ. स्नेहा गोडबोले, वरिष्ठ पत्रकार गणेश दत्त पांडेय, कैलाश खर्कवाल, मीना जोशी, शशांक पांडेय, कार्तिकेय सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।  

पिछले कई दशकों से बाल साहित्य, कविताओं, कहानियों और व्यंग्य लेखन के जरिए साहित्य जगत में विशिष्ट पहचान बनाने वाले भगवत प्रसाद पांडेय

इससे पहले कई कृतियां लिख चुके हैं। ‘पहाड़ों से निकली पहाड़ों की कहानियां’ खूब सराही गई थी। हिमालय का प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति, लोक जीवन और पहाड़ी परिवेश को सरल व संवेदनशील भाषा में प्रस्तुत करना पांडेय की लेखनी की खास खूबी रही है। उन्होंने कहा कि पर्वतारण्य हिमालय का आंगन ही मेरी जन्मभूमि और कर्मभूमि है। यहां पला, बढ़ा और पढ़ा। यहाँ के पहाड़, घाटियाँ, नदियां, झरने, वन-उपवन, पशु पक्षी सबने मुझे अपनी कलम से कुछ रचना गढ़ने की प्रेरणा दी। 

बच्चों की जिज्ञासा, प्रकृति पर्यावरण, तितली भौंरे, वन्य संसार, फलफूल और पहाड़ी जीवन की सहजता को उन्होंने अत्यंत मनोहारी शैली में कविताओं के जरिए प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक बच्चों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी महत्त्वपूर्ण और संग्रहणीय कृति है।



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