हिमालयी राज्यों पर पर्यटन के प्रभाव पर लोहाघाट में दो दिनी राष्ट्रीय सेमिनार का आगाज
120 शोध पत्रों वाली राष्ट्रीय सेमिनार की स्मारिका का विमोचन भी हुआ
देवभूमि टुडे
चंपावत/लोहाघाट। उत्तराखंड के हिमालयी राज्यों में पर्यटन के बुनियादी ढांचे, कला, संस्कृति एवं पर्यावरण पर प्रभाव विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शुरू हुआ। मुख्य अतिथि कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के सेवानिवृत्त प्रोफेसर बीएस बिष्ट ने किया। उन्होंने पर्यटन को विश्व का सबसे तेजी से बढ़ता उद्योग बताया।
ICSR (भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद) की ओर से प्रायोजित सेमिनार के पहले दिन कला-संस्कृति, प्रकृति और होम स्टे पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड की रीढ़ पर विशेष चर्चा हुई। उद्घाटन सत्र में 120 शोध पत्रों वाली राष्ट्रीय सेमिनार की स्मारिका का विमोचन भी किया गया। प्रोफेसर बीएस बिष्ट ने कहा कि पर्यटन वैश्विक GDP में महत्वपूर्ण योगदान देता है और 1.09 करोड़ नौकरियां सृजित करने की क्षमता रखता है। भारत में 2024-25 के दौरान पर्यटन से लगभग 15.7 लाख करोड़ रुपये की आय हुई है। प्रो. बिष्ट ने योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, कला-संस्कृति एवं पर्वतारोहण जैसे क्षेत्रों में निवेश पर जोर देते हुए कहा कि पर्यटन मानव के अंतर्मन पर गहरा प्रभाव डालता है। विशिष्ट अतिथि बनबसा राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.आनंद प्रकाश सिंह ने उच्च शिक्षा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम को व्यावहारिक बनाने की जरूरत बताई, ताकि शिक्षक और छात्र इस क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के डॉ. संदेशा रायपा गर्ब्याल ने हिमालयी राज्यों में जीवन संतुलन बनाए रखने पर चर्चा करते हुए कहा कि कला, संस्कृति और सामाजिक विविधता को आर्थिक विकास एवं प्रकृति से जोड़ना जरूरी है। उन्होंने पर्यावरण संतुलन, आर्थिक प्रगति, बुनियादी ढांचे के संरक्षण एवं संवर्धन की जरूरत बताई। प्राचार्या डॉ. संगीता गुप्ता ने सतत पर्यटन के लिए हिमालयी राज्यों में विशेष नीति बनाने की जरूरत पर जोर दिया। कहा कि इससे पर्यटकों को लंबे समय तक आकर्षित किया जा सकता है। साथ ही स्थानीय कला, संस्कृति एवं होम स्टे को प्रोत्साहन मिलेगा। सतीश पांडेय ने कहा कि गढ़वाल की अपेक्षा कुमाऊं में पर्यटन विकास कम है, इसलिए सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। साथ ही, स्वच्छता अभियान से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आम लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। सेमिनार के संयोजक डॉ. दिनेश व्यास ने कहा कि भारत के 7 पर्वतीय राज्यों में पर्यटन विकास के लिए पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन खासा जरूरी है। डॉ. ममता बिष्ट एवं डॉ. स्वाति जोशी के संचालन में हुई सेमिनार में डॉ. रेखा जोशी, डॉ. किशोर जोशी, डॉ. ममता बिष्ट, डॉ. सीमा नेगी, डॉ. नीरज कांडपाल, डॉ. स्वाति कांडपाल डा. सरस्वती भट्ट, डॉ. प्रताप सिंह बिष्ट, डॉ. अनिल सोनी, डॉ. परितोष उप्रेती, डॉ. वीएम पांडेय, डॉ. जीवन कुमार सारस्वत, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. नरेंद्र धारियाल, डॉ. चंद्र प्रकाश, डॉ. हरिराम, कुमारी नीतू, डॉ. अपराजिता, डॉ. लता कैड़ा, डॉ. बृजेश कुमार ओली, डॉ. रवि सनवाल, डॉ. एसपी. सिंह, डॉ. भूप सिंह धामी, डॉ. उपेन्द्र चौहान आदि मौजूद थे।
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