Wednesday Dec 17, 2025

आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद विपरीत हालातों में हासिल किया था ऊंचा मुकाम

चंपावत के कुलेठी गांव के  निवासी प्रो. बिष्ट का आज हल्दवानी में होगा अंतिम संस्कार

सेवानिवृत्ति के बाद हिमवत्स संस्था के जरिए समाज सेवा में जुटे रहे

देवभूमि टुडे

चंपावत/हल्द्वानी। IIT (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) कानपुर में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहे 90 वर्षीय डॉ. एचडी बिष्ट का कल 13 दिसंबर की शाम निधन हो गया। चंपावत के कुलेठी गांव के  निवासी प्रो. बिष्ट पिछले काफी समय से हल्द्वानी में रह रहे थे और कुछ समय से अस्वस्थ थे। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद विपरीत हालातों में उन्होंने ऊंचा मुकाम हासिल किया। सेवानिवृत्ति के बाद समाज की सेवा के लिए उन्होंने कुछ साथियों के साथ मिलकर हिमवत्स (हिमालय वॉटर सर्विस तथा विकास एवं पर्यावरण संरक्षण समिति) संस्था का गठन किया था। वे अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। निधन पर क्षेत्र में शोक की लहर है।

प्रो. बिष्ट के भाई सेवानिवृत्त CMO डॉ. जीवी बिष्ट बताते है कि बेहद सामान्य परिवार में जन्में प्रोफेसर एचडी बिष्ट ने आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद स्थानीय शिक्षकों, रिश्तेदारों और छात्रवृत्तियों के सहयोग से अपनी पढ़ाई पूरी की। वर्ष 1962 में प्रो. बिष्ट ने IIT कानपुर के भौतिकी विभाग में कार्यभार ग्रहण किया। वे संस्थान के प्रारंभिक शिक्षकों में से एक रहे और कई वर्षों तक अध्यापन एवं शोध कार्य किया।

उन्होंने भौतिकी प्रयोगशालाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और छात्रों को उच्च गुणवत्ता की वैज्ञानिक शिक्षा प्रदान की। उनके अनेक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुए।

 

प्रोफेसर डॉ. एचडी बिष्ट। (फाइल फोटो)

सेवानिवृत्ति के बाद प्रो. बिष्ट समाज सेवा करते रहे। इसके लिए हिमवत्स संस्था की स्थापना की, जिसके माध्यम से वे ग्रामीण शिक्षा, विज्ञान शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, पर्यावरण संरक्षण एवं सामुदायिक विकास के क्षेत्र में  कार्य करते रहे। हिमवत्स द्वारा ग्रामीण विद्यालयों में कंप्यूटर, पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशालाएं, छात्रवृत्ति, वर्दी वितरण तथा स्वास्थ्य शिविर सहित अनेकों कार्यक्रम संचालित किए गए हैं। 

प्रो. एचडी बिष्ट का जीवन संघर्ष, शिक्षा और सेवा का बेहतरीन उदाहरण है। एक छोटे पहाड़ी गाँव से निकलकर IIT कानपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में प्रोफेसर बनना और फिर समाज के लिए काम करना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। वे आज भी युवाओं और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।




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