मूल निवास प्रमाण पत्र, पलायन रोकने के लिये नीति, जंगली जानवरों से निजात, परिसीमन में पहाड़ की विधानसभा सीटों को बचाने सहित कई मसलों को लेकर लोगों को जागरूक किया
यात्रा दल का जगह-जगह गर्मजोशी से हुआ स्वागत
पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट का 26 नवंबर को हुआ था निधन हुआ
देवभूमि टुडे
चंपावत। UKD (उत्तराखंड क्रांति दल) के शीर्ष आंदोलनकारी नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री 'फील्ड मार्शल' स्वर्गीय दिवाकर भट्ट को श्रद्धांजलि देने के लिए शुरू की गई श्रद्धांजलि यात्रा खटीमा से आज 2 दिसंबर को चंपावत- लोहाघाट पहुंची। जसपुर से शुरू यह यात्रा का रुद्रपुर, खटीमा, बनबसा, टनकपुर, चंपावत होते हुए लोहाघाट पहुंची, जहां जगह-जगह यात्रा दल का गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
नैनीताल जिला इकाई अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान के नेतृत्व में सह संयोजक भुवन सिंह बिष्ट, युवा प्रकोष्ठ के अमित बिनवाल, प्रहलाद सिंह मेहता, राजेंद्र पुनेठा, रमेश बिष्ट, श्याम सिंह नेगी, मोहन सिंह नेगी, मनोज जोशी, गिरधर अधिकारी, हरीश कोटलिया, प्रेम रैक्वाल ,प्रदीप गहतोड़ी , कैलाश भट्ट, शहाबुद्दीन अंसारी सहित कई कार्यकर्ताओं ने दिवंगत भट्ट को श्रद्धांजलि अर्पित की। 'फील्ड मार्शल' का इसी 26 नवंबर को निधन हो गया था। वक्ताओं ने दिवाकर भट्ट के सपनों के उत्तराखंड को बनाने का संकल्प लिया।
यात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं ने भट्ट के आदर्शों और संघर्षों, खैट पर्वत आंदोलन, श्रीयंत्र टापू आंदोलन को याद करते हुए कहा कि पहाड़ का वास्तविक विकास आज भी अधूरा है।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि 1950 से पूर्व उत्तराखंड में बसे मूल निवासियों और पहाड़ियों को मूल निवास प्रमाण पत्र देने की व्यवस्था बने। पलायन रोकने के लिये नीति बने, जंगली जानवरों से महिलाओं को बचाने के लिए प्रयास किया जाए और परिसीमन में पहाड़ की विधानसभा सीट कम नहीं होनी चाहिए।
हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर कड़े भूमि नियम लागू हों ताकि बाहरी दबाव से मूल संस्कृति और भू-संपदा की रक्षा हो सके।
वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड बनने के बाद विकास के दावे तो बड़े-बड़े किए गए, लेकिन गांवों में वास्तविक विकास गायब है। कहा कि स्कूल बंद हो रहे हैं; पलायन का संकट गहरा रहा है और पहाड़ी क्षेत्रों से बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। राज्य बनाने का सपना तभी सच होगा, जब मूलवासियों को उनका हक मिलेगा। कार्यकर्ताओं ने कहा कि दिवाकर भट्ट ने जिस आत्म सम्मान, स्वाभिमान और जन अधिकारों वाले उत्तराखंड का सपना देखा था, उसे पूर्ण करने के लिए UKD एक बार फिर संघर्ष की राह पर है।

© 2025. All Rights Reserved.