चंपावत। न आबादी में ज्यादा नहीं क्षेत्रफल में, फिर भी नशे में पीछे नहीं। ये दास्तांन है नेपाल सीमा से लगे चंपावत जिले की। इस चिंता को समझते हुए यहां के सामाजिक सरोकार रखने वाले कार्यकर्ता जन चेतना में जुटे हैं। सात जनवरी को चंपावत के गोरलचौड़ मैदान में ऐसी ही पहल लोहाघाट की नामी सामाजिक कार्यकर्ता और तीलू रौतेली पुरस्कार विजेता रीता गहतोड़ी ने की। खास बात यह कि इस पहल का आगाज वाल्मीकि समाज के लोगों के साथ किया। नशा भगाएंगे जीवन बचाएंगे… की थीम पर रीता गहतोड़ी ने इस समाज के महिला और पुरुषों को नशे से दूर रह शिक्षा, सेहत में सुधार सहित अपने जीवन स्तर को बेहतर करने की सीख दी। शराब में खर्च होने वाले रुपयों का उपयोग पढ़ाई, दवाई और अन्य जरूरी काम पर करने की नसीहत देते हुए शपथ दिलाई गई।
सीएमओ डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि नशे से हर साल चंपावत जिले में जान गंवाने वालों की तादात बढ़ रही है। शराब का एक पहलू यह भी है कि इससे सरकार का खजाना खूक फल-फूल रहा है। मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के शुरुआती नौ महीने यानी दिसंबर तक ही 2.83 लाख की आबादी वाले इस जिले को 6.79 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हो चुका है। ये रकम पूरे वित्त वर्ष की रकम से 38 लाख रुपये ज्यादा है। सहायक आबकारी आयुक्त तपन कुमार पंiडेय बताते हैं कि इस वित्त वर्ष देशी और विदेशी शराब की 16 दुकानों में 6.46 करोड रुपये का लक्ष्य है।