मिनिस्ट्रीयल कर्मी हैं सरकारी सिस्टम की रीढ़…तत्परता से करेंगे समस्याओं का समाधान:CDO

चंपावत को मॉडल जिला बनाने में अहम है मिनिस्ट्रीयल कर्मी: नोडल अधिकारी केएस बृजवाल
चंपावत में उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन का द्विवार्षिक अधिवेशन
देवभूमि टुडे
चंपावत। मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार सिंह ने कहा कि मिनिस्ट्रीयल कर्मी सरकारी तंत्र की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उनकी वाजिब मांगों का तेजी से निस्तारण किया जाएगा। 27 जून को चंपावत के जिला पंचायत के सभागार में उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन के द्विवार्षिक अधिवेशन में मुख्य अतिथि सीडीओ ने कहा कि प्रशासन के साथ मिनिस्ट्रीयल कर्मियों के प्रतिनिधियों की त्रैमासिक बैठक कर मांगों पर विचार कर निराकरण कराने की पहल की जाएगी।
कर्मचारी नेता सुरेंद्र सौन की अध्यक्षता और जीवन चंद्र ओली के संचालन में हुए कार्यक्रम में सीएम कैंप कार्यालय के नोडल अधिकारी केदार सिंह बृजवाल और विधायक प्रतिनिधि प्रकाश तिवारी ने कहा कि सरकारी योजनाओं की सफलता मिनिस्ट्रीयल कर्मियों की तत्परता पर निर्भर होती है। उन्होंने कहा कि चंपावत को मॉडल जिला बनाने में उनकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है। कर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए सीएम कैंप कार्यालय पूरी मदद करेगा। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि कर्मी विभागीय जिम्मेदारियों को पूरी तन्मयता से निभाते हैं, साथ ही अपेक्षा करते हैं कि उनकी मांगों को भी इसी तेजी से हल किया जाए।
उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रीयल सर्विसेज एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार, महामंत्री जीवन चंद्र ओली, राजकीय शिक्षक संगठन के जिला मंत्री इंदुवर जोशी, पर्वतीय कर्मचारी-शिक्षक संगठन जिलाध्यक्ष नगेंद्र कुमार जोशी, महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह मेहता, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष विष्णु गिरि गोस्वामी, प्रकाश तड़ागी, मिंटू सिंह राणा, सुरेंद्र सिंह, विनोद कुमार, राजेंद्र भट्ट, पंचम कुमार, चंद्रशेखर पांडे, रमेश सिंह देव, जगदीश तड़ागी, दिनेश पांगती, विमल जोशी, केएल शाह, कैलाश नाथ महंत, लोचन त्रिपाठी, प्रकाश सिंह मेहरा, हिमांशु, एसएस रावल, सोहन सिंह, खीम सिंह बिष्ट आदि मौजूद थे।
मिनिस्ट्रीयल कर्मियों की ये हैं मांगें:
1.वेतनमान संशोधन संबंधी मांग:
कनिष्ठ सहायक: कनिष्ठ सहायक पद की शैक्षिक योग्यता इंटर के स्थान पर स्नातक एवं कंप्यूटर में 1 वर्षीय डिप्लोमा अनिवार्य अहर्ता की जाए। इसी तरह वेतनमान रुपये 25500-81100 लेवल 4 में संशोधित किया जाय।
संवर्ग में पदोन्नति के 5 स्तर है, जिनमें 3 स्तर के पद प्रशासनिक पद होने के कारण नीचे के दो स्तर के पदों पर कार्य का अतिरिक्त भार बढ़ जाता है। लंबी सेवा अवधि के बाद भी पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाता है। अत: मिनिस्ट्रीयल संवर्ग के दो प्रशासनिक पदों (प्रशासनिक अधिकारी एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी) का आमेलन करते हुए लेवल-8 में वेतनमान रुपये 47600-151100 किया जाए।
सभी विभागाध्यक्ष-कार्यालयों में मिनिस्ट्रीरियल संवर्ग से पदोन्नति हेतु ‘उपनिदेशक प्रशासनÓ का पद लेवल 11 वेतनमान रुपये 67700-208700 में सृजित किया जाए। जिन विभागों में अलग-अलग संवर्ग है, वहां इस पद पर प्रोन्नति संयुक्त वरिष्ठता सूची के आधार पर की जाए।
2.अंशदाई पेंशन योजना:अक्टूबर 2005 के बाद नियुक्त कार्मिकों को अंशदाई पेंशन योजना से कवर किया गया है। ये व्यवस्था कार्मिकों के हित में नहीं है, इसलिए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।
3.भत्तों संबंधी मांग:वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा अधिकतर कार्मिकों को वाहन भत्ता और सचिवालय कार्मिकों को सचिवालय भत्ता दिया जा रहा है। इसी प्रकार केंद्रीय कार्मिकों को यातायात भत्ता अनुमन्य है लेकिन मिनिस्ट्रीयल संवर्ग को कोई भी भत्ता देय नहीं है। लिहाजा इस संवर्ग को अभिलेख अनुरक्षण भत्ता अनुमन्य किया जाए।
4.अर्हकारी सेवा में शिथिलीकरण: अर्हकारी सेवा में शिथिलीकरण वर्ष 2010 से लागू व्यवस्था को पहले की तरह रखा जाए।
5.पदों का सृजन:राज्य गठन के बाद सभी विभागों में कायभार में अप्रत्याशित वृद्धि (सूचना का अधिकार, कोर्ट केस, सेवा का अधिकार, सिटीजन चार्टर, विधानसभा प्रश्न आदि) होने के कारण मिनिस्ट्रीयल संवर्ग में अतिरिक्त पदों का सृजन किया जाए।
मिनिस्ट्रीयल संवर्ग का कार्य महत्वपूर्ण एवं उत्तरदायित्व पूर्ण होने के कारण इन पदों पर आउटसोर्स से कोई नियुक्ति न की जाए, बल्कि विभागों में स्वीकृत क्षमता के अनुसार रिक्त पदों पर नियमित नियुक्तियां की जाए।
6.पदोन्नति के अवसर:मिनिस्ट्रीरियल संवर्ग से अन्य संवर्गों जैसे लेखा, नायब तहसीलदार, पूर्ति निरीक्षक, खंड विकास अधिकारी, सहायक सेवायोजन अधिकारी, उपशिक्षा अधिकारी, परिवहन कर अधिकारी के पदों पर पदोन्नति हेतु 50 प्रतिशत कोटा निर्धारित किया जाए।
स्थानांतरण अधिनियम में समूह ‘ग’ के कार्मिक को उसकी गृह तहसील एवं समूह ‘ख’ के कार्मिक को उसके गृह जिले में तैनात नहीं किए जाने का प्रावधान किया गया है, जो कि मिनिस्ट्रीयल कार्मिकों के लिए ठीक नहीं है। मिनिस्ट्रीयल संवर्ग के लिए यह व्यवस्था समाप्त की जाए।
जिले में कार्यरत सेवानिवृत्त कार्मिकों के पेशन प्रकरणों का प्राथमिकता के आधार पर समयबद्व निस्तारण किया जाए एवं सेवा पंजिका को मूल आधार मानते हुए पेंशन निदेशालय की तर्ज पर कोषागार चंपावत से प्रकरण निस्तारित किए जाए। कोषागार चंपावत पेंशन प्रकरणों में बेवजह आपत्ति लगा रहा है। कोषागार को पेंशन प्रकरणों का प्राथमिकता से निस्तारित किए जाने के लिए आदेश निर्गत किए जाएं।

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