


उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख डॉ. धनंजय मोहन की पत्रकार वार्ता
वनाग्नि नियंत्रण में मदद कर रहा उत्तराखंड फॉरेस्ट फायर एप
Bird Watching, एंगलिंग सहित Eco Tourism की चंपावत क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं
देवभूमि टुडे
चंपावत। उत्तराखंड वन विभाग के प्रमुख HoFF (Head of Forest Force) डॉ. धनंजय मोहन ने कहा कि वन क्षेत्र बाहुल्य उत्तराखंड में One District One Division व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है। एक्टिव प्रबंधन काम की अधिकता के हिसाब से डिवीजन बनते हैं। अलबत्ता वन प्रभागों की सीमा को रिएलाइन कर एकीकरण करने का प्रयास किया जा रहा है। ये प्रस्ताव शासन के विचाराधीन है। रिएलाइन के तहत किसी डिवीजन का छोटा सा हिस्सा किसी अन्य जिले में है, तो ऐसे हिस्से को वापस उस डिवीजन में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी तरह मृदा संरक्षण के डिवीजन को खत्म करने की बात चल रही है।
डीएफओ कार्यालय में 20 अप्रैल को पत्रकार वार्ता में राज्य वन प्रमुख ने कहा कि वनाग्रि के लिए खतरनाक चीड़ के अन्य रूप में बेहतर उपयोग की कोशिश की जा रही है, ताकि ग्रामीणों को आजीविका मिलने के साथ पर्यावरणीय नुकसान कम किया जा सके। प्रदेश सरकार ने पिरूल की खरीद दर 3 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपया किलो की है। डॉ. मोहन ने कहा कि पिरूल के ब्रिकेटस बनाने की यूनिट प्रदेश में 6 जगह लग चुकी है। साथ ही IOC से भी संपर्क किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस फायर सीजऩ में प्रदेश में कोई भी बड़ी वनाग्नि की घटना सामने नहीं आई है। वनाग्नि नियंत्रण के लिए जंगलों में आग लगने से रोकथाम और आग लगने की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए उत्तराखंड फॉरेस्ट फायर एप विकसित किया गया है, जिससे एप आधारित सूचना व एलर्ट प्रणाली संचालित की जा रही है। देहरादून में स्थापित Integrated Control Room के जरिए प्रदेशभर की निगरानी की जाती है। PCCF ने बताया कि वन विभाग ने मौसम विभाग के साथ एक MOU (करार) किया है। जिसके तहत विभाग को एक सप्ताह की अग्रिम विशेष मौसम रिपोर्ट प्राप्त हो रही है। जिसकी सहायता से वनाग्नि के खतरों का पूर्वानुमान लगाया जा रहा है। इस तकनीकी सहयोग से वनाग्नि की रोकथाम और त्वरित रिस्पांस में मदद मिली है।
चंपावत वन प्रभाग में प्रकृति आधारित Eco Tourism के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं, इन्हें बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। मायावती क्षेत्र में Bird Watching की प्रचुर संभावनाएं हैं। भविष्य में मायावती एवं अन्य स्थलों पर इससे जुड़े festival कराए जाएंगे। इसी तरह पंचेश्वर क्षेत्र में एंगलिंग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए छोटे-छोटे नदी-नालों का संरक्षण कर महशीर मछली के लिए सुरक्षित और अनुकूल ब्रीडिंग वातावरण विकसित की जाएगी। HoFF ने कहा कि उत्तराखंड ने सकल पर्यावरण उत्पाद को अपनाकर आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी है।
वार्ता के दौरान कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षक डॉ. धीरज पांडेय, DFO नवीन पंत और SDO नेहा सौन मौजूद थे। इससे पूर्व तीन दिनी भ्रमण के दौरान चंपावत वन प्रभाग के कई स्थलों का मुआयना कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।


