पसंद अपनी-अपनी… विधायक चाचा CONGRESS में, भतीजे की BJP में एंट्री

लोहाघाट के कांग्रेसी विधायक खुशाल सिंह अधिकारी के भतीजे आनंद सिंह अधिकारी का कमल के साथ शुरू हुआ सियासी सफर
देवभूमि टुडे
चंपावत/देहरादून। राजनीति के रंगढंग कम निराले नहीं हैं। ये अलग-अलग रंग वर्षों पहले मध्य प्रदेश में सिंधिया राजघराने में दिखते थे, तो हाल के वर्षों में महाराष्ट्र में भी ऐसे रंग खूब चमके। राजमाता विजयमाता सिंधिया का सफर जनसंघ से भाजपा तक रहा, तो उनके बेटे माधवराव सिंधिया की सियासत हाथ के साथ रही। महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस के दिग्गज नेता शरद पवार के भतीजे अजीत पवार की राजनीति भाजपा के कमल से परवान चढ़ रही है। कहीं चाचा-भतीजे, तो मां-बेटे के बीच सियासत का ये द्वंद रहा। और सात अप्रैल को चंपावत जिले में भी सियासत की लकीर रिश्तों पर भारी पड़ी है। लोहाघाट के कांग्रेसी विधायक खुशाल सिंह अधिकारी के भतीजे आनंद सिंह अधिकारी रविवार को भाजपा में शामिल हो गए।
युवा आनंद सिंह अधिकारी ने देहरादून में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के सम्मुख पार्टी की सदस्यता ली। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश चंद्र पोखरियाल निशंक और त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद थे। आनंद सिंह अधिकारी की मां भागीरथी अधिकारी भी जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। जबकि पिता दिलीप सिंह अधिकारी मशहूर ठेकेदार हैं। आनंद सिंह अधिकारी का कहना है कि चाचा खुशाल सिंह अधिकारी के कांग्रेस में होने के बावजूद वे भाजपा में शामिल हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन से प्रभावित हो भाजपा में आए हैं। उनके साथ राजेंद्र सिंह अधिकारी, चंदन सिंह अधिकारी, दिनेश चम्याल, दीपक राणा, देवेंद्र बिष्ट, विक्रम कठायत, किशन सिंह महरा, राम सिंह बिष्ट, पुष्कर सिंह धोनी, महेंद्र सिंह, राकेश कुमार टम्टा आदि भी भाजपा में शामिल हुए।

प्रजातंत्र में अपनी-अपनी च्वाइस है… भतीजे आनंद को मेरी शुभकामनाएं: विधायक अधिकारी
चंपावत। लोहाघाट के विधायक खुशाल सिंह अधिकारी का कहना है कि प्रजातंत्र में सबकी अपनी-अपनी च्वॉइस है। कई राजनीतिक परिवार में लोग अलग-अलग दलों में हैं। उनके भतीजे आनंद सिंह अधिकारी भाजपा में शामिल हुए हैं। वे आगे बढ़े, फले-फूले… हमारी शुभकामनाएं हैं। विधायक बनने से पूर्व खुशाल सिंह अधिकारी 2008 में पाटी के ब्लॉक प्रमुख और 2014 में जिला पंचायत के अध्यक्ष बने थे। इन दोनों सियासी सफलताओं में आनंद सिंह अधिकारी सहित पूरे परिवार के एकजुटता का बड़ा योगदान था।

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