लोहाघाट उप जिला अस्पताल के मरीजों को निजी अस्पताल अथवा चंपावत जिला अस्पताल लगानी पड़ रही है दौड़
दो से तीन दिन में खामी दूर करने का CMO का दावा
देवभूमि टुडे
चंपावत/लोहाघाट। लोहाघाट के उप जिला अस्पताल में अगले कुछ दिन मरीजों को अल्ट्रासाउंड परीक्षण की सुविधा नहीं मिल सकेगी। ये नौबत एसडीएच की अल्ट्रासाउंड मशीन में कल 23 अक्टूबर को आई खराबी की वजह से हुई है। मशीन की खामी के कारण आज बृहस्पतिवार को एक भी परीक्षण नहीं हो सका। इस कारण गर्भवती महिलाओं सहित परीक्षण के लिए आए अन्य लोगों को दुश्वारी झेलनी पड़ी।
अल्ट्रासाउंड मशीन में आई तकनीकी खराबी से लोहाघाट में परीक्षण ठप हैं। इससे सबसे अधिक दिक्कत गर्भवती महिलाओं को हो रही है। लोहाघाट के अलावा पाटी और बाराकोट विकासखंड के लोग इस अस्पताल पर अल्ट्रासाउंड परीक्षण के लिए आते हैं। लोगों का कहना है कि अस्पताल में वैसे भी सप्ताह में तीन दिन ही परीक्षण हो पाते हैं और उस पर मशीन की खामी से दुश्वारी और बढ़ गई है। और अब लोगों को या तो निजी अस्पताल में परीक्षण कराना पड़ रहा है या लोहाघाट से 13 किलोमीटर दूर चंपावत जिला अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ रही है।
वहीं मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. देवेश चौहान ने बताया कि कल ऊर्जा निगम की ओर से बिजली का शटडाउन की वजह से जनरेटर से अल्ट्रासाउंड मशीन को चलाकर परीक्षण किया जा रहा था। इसी दौरान मशीन में तकनीकी खराबी आ गई। मशीन के सॉफ्टवेयर उडऩे से आई खामी को दूर कराने के लिए मशीन के इंजीनियर को बुलवाया गया है। CMO डॉ. का कहना है कि मशीन को एक साल से कम समय पूर्व लगाई गई है और अभी गारंटी अवधि में है, इसलिए मशीन लगाने वाली कंपनी की मशीन के रखरखाव की भी जिम्मेदारी है। दो से तीन दिन के भीतर अल्ट्रासाउंड मशीन ठीक होने की उम्मीद है।
चंपावत जिला अस्पताल में मुश्किल होगा ऑपरेशन से प्रसव
चंपावत। चंपावत जिला अस्पताल में चार माह पूर्व तक दो गायनोकॉलॉजिस्ट थीं, लेकिन अब एक भी नहीं है। कुछ वक्त पूर्व तक स्वास्थ्य महानिदेशालय ने अलग-अलग अस्पतालों से दस-दस दिनों के लिए वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती की व्यवस्था की थी, लेकिन अब यह व्यवस्था भी खत्म हो गई है। इसके चलते जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के इलाज में दुश्वारी आने लगी है। अब अस्पताल में सामान्य प्रसव की ही सुविधा हो सकेगी, जटिल और सीजेरियन डिलीवरी में दिक्कत आएगी। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. प्रदीप सिंह बिष्ट का कहना है कि महिला चिकित्साधिकारियों के जरिए व्यवस्था को सामान्य बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही गायनोकॉलॉजिस्ट की तैनाती के लिए आग्रह किया गया है।