तुझे भून कर रख देंगे सुन ए पापी पाकिस्तान…

साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच के तत्वावधान में काव्य गोष्ठी में पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को दी गई श्रद्धांजलि
देवभूमि टुडे
चंपावत। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच के तत्वावधान में माह के अंतिम रविवार (27 अप्रैल) को संस्कृत विद्यालय में हुई काव्य गोष्ठी में पहलगाम के आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। ग्राम्य विकास विभाग के सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी सुभाष चंद्र जोशी की अध्यक्षता और डॉ. सतीश चंद्र पांडेय के संचालन में हुई काव्य गोष्ठी में पहलगाम में 22 अप्रैल को हुई आतंकी घटना का गम और गुस्सा कविताओं में खूब फूटा।

संस्कृत के विद्वान डॉ. कीर्ति बल्लभ शक्टा ने कुछ यूं अपने गुस्से का इजहार किया-
‘तुझे भून कर रख देंगे सुन ए पापी पाकिस्तान, जाग गया है हिंदुस्तान। ऐसा कृत्य किया क्या तूने बन जायेगा कब्रिस्तान’

राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य न
डॉ. भुवन चंद्र जोशी ने अपनी पीड़ा को यूं व्यक्त किया-
‘हृदय विदारक समाचार था- मानवता शरमाई थी, पहलगाम की धरती पर, जब दानवता गहराई थी’

किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य व जनकवि प्रकाश जोशी शूल ने दावाग्नि के खतरों पर यूं खबरदार किया-
‘जला रहे हो मेरे भाई जंगल क्यों? ये है चमन खुशियों का, इसमें करते अमंगल क्यों?’

सुमित विश्वकर्मा ने ये कविता सुनाई- ‘कभी कभी रो लेने से, मन हल्का हो जाता है, छुप-छुप अश्रु बहाकर, कभी मन शांत हो जाता हैं।’

पुष्कर सिंह बोहरा ने ये कविता पेश की-
‘अपना बचपन या अनमोल खजाना, उठते ही तख्ती को काला करना।’

सुभाष जोशी ने ये कविता प्रस्तुत की-
‘तूं ही राम, अयोध्या काशी, तू ही गोकुल वृंदावन है। काम, कोध से युक्त अगर, स्वर्ग लोक है, मधुबन है।’

डॉ. सतीश चंद्र पांडेय ने ये कहा-
‘जीवन का दर्द लिखो कहती है, कलम आज बोलो कहती है, उपेक्षित शोषित उत्पीड़ित की आवाज बनो कहती है।’

ललित मोहन ( कुमाऊंनी) ने संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर के योगरान पर ये कहा-‘ओ भीम बाबा तुमरी जै, तुमरी जय जयकार, अंबेडकर बाबा तुमरी जै, तुमरी जै जै कार।’

राम प्रसाद आर्य ने इस कविता से उल्लास भरा-
‘फूल मुरझाये हैं, कांटों पे बहार आई है। बोलो कैसा बसंत आज में फिजां लाई है। ऐ कांटो ! फूलों से ऐसी भी क्या अरियाई है, फूल मुरझाएं है, कांटों पे बहार आई है ।’

error: Content is protected !!