open classroom है प्रकृति की पाठशाला…दे रही शिक्षा, समझ और सीख

चंपावत के कांडा गांव से चंपावत चाय बागान तक का सफर
लेखक व पत्रकार प्रोफेसर एसएस डोगर के मार्गदर्शन में सात बच्चों की शैक्षिक यात्रा
देवभूमि टुडे
चंपावत। शहरी भाग-दौड़ और डिजिटल दुनिया से दूर, उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर क्षेत्र में एक ऐसी सुबह शुरू हुई, जो न केवल रोमांचकारी रही, बल्कि बच्चों के लिए शिक्षाप्रद और यादगार भी बनी। रविवार को कांडा गांव के 7 स्कूली बच्चों वंश, आस्था, वंशिका, आर्यन, मयंक, प्रवीण तथा प्रियांशु के साथ करीब ढाई किलोमीटर दूर चंपावत के चाय बागान तक ट्रेकिंग की गई। बच्चों के मार्गदर्शक बने लेखक व पत्रकार प्रोफेसर एसएस डोगर कहते हैं कि ये यात्रा केवल कदमों की नहीं थी, बल्कि हर मोड़ पर कुछ नया सीखने की प्रक्रिया थी। रास्ते में बच्चों ने हरे-भरे वृक्षों, बहते झरनों, पक्षियों की चहचहाहट और पर्वतीय जीवन की सादगी को नजदीक से महसूस किया। यह उनके लिए एक ‘open classroom’ था, जहाँ प्रकृति शिक्षक थी और हर दृश्य पाठ्यक्रम का हिस्सा।
चाय बागान पहुंचने पर वहां कार्यरत नीरज और ‘गोल्डन कैफेटेरिया’ के प्रबंधक नीतीश राय से मुलाक़ात हुई। वहां हमें जलवायु अनुकूल खेती की विधियों और पर्यटन की संभावनाओं से जुड़ी जानकारियां सहित जीवन में श्रम, अनुशासन और संतुलन के महत्त्व को भी सहेजने का मौका मिला।
बागान के पास बैठकर बच्चों ने मिलकर उत्तराखंड का पारंपरिक बुरांश जूस भी पिया। एक ऐसा क्षण, जहाँ स्वाद, संवाद और संस्कृति तीनों ने मिलकर दिलों को जोड़ा। बुरांश का यह लालिमा से भरा पेय बच्चों को न केवल स्वाद में भाया, बल्कि उसने उन्हें हिमालयी जीवनशैली से गहराई से जोड़ा। ये अनुभव बच्चों के मन-मस्तिष्क में केवल एक यात्रा के रूप में नहीं रहेगा, बल्कि यह उन्हें जीवन भर यह याद दिलाता रहेगा कि सीखने की कोई सीमाएं नहीं होतीं और प्रकृति जब शिक्षिका बनती है, तब शिक्षा जीवन से खुद-ब-खुद जुड़ जाती है।

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