कांकर घाट में पूर्णागिरि धाम के तिवारी समुदाय के पुजारियों ने विधि विधान से उपाकर्म कर जनेऊ बदला
चंपावत में धर्मशिला घाट, टनकपुर में कांकर और लोहाघाट में ऋषेश्वर घाट में हुआ ऋषि तर्पण
देवभूमि टुडे
चंपावत। भले ही हिंदू समाज के अधिसंख्यक लोगों का रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को मना, लेकिन एक समाज ऐसा भी था, जिसकी राखाी का पर्व आज 5 सितंबर को हुआ। तिवारी समुदाय के लोगों की राखाी बृहस्पतिवार को हरतालिका तृतीया पर्व पर जिले भर में उल्लास और धार्मिक विधान से मनाई्र गइ।
5 सितंबर की सुबह चंपावत में धर्मशिला घाट, टनकपुर में कांकर और लोहाघाट में ऋषेश्वर घाट में ऋषि तर्पण हुआ। पवित्र घाटों पर उपाकर्म कर नई जनेऊ धारण की। इस दौरान ऋषि तर्पण के साथ विभिन्न अनुष्ठानों के साथ पूजा-अर्चना की गई। बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा। बदले में भाइयों ने बहनों को सुरक्षा का वचन दिया।
टनकपुर में पूर्णागिरि धाम के तिवारी समुदाय के पुजारियों ने कांकर घाट में विधि विधान से उपाकर्म कर जनेऊ बदले। पुरोहित कुलदीप कुलेठा ने धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए। इस मौके पर पंडित किशन तिवारी, दुर्गादत्त तिवारी, नेत्रबल्लभ तिवारी, सुरेश तिवारी, गिरीश तिवारी, सतीश तिवारी, त्रिलोचन तिवारी, घनश्याम तिवारी, संजय तिवारी, महेश तिवारी, कैलाश तिवारी, संजय तिवारी, महेश तिवारी, जगदीश तिवारी आदि मौजूद रहे।
इधर चंपावत में गंडकी नदी में स्थित धर्मशिला घाट पर तिवारी और त्रिपाठी समुदाय के लोगों ने उपाकर्म कर नए जनेऊ धारण किए। यहां प्रकाश तिवारी, गिरीश तिवारी सहित तमाम लोग मौजूद थे। घरों में भी विशेष पकवान तैयार किए गए। लोहाघाट के ईड़ाकोट गांव में भी तिवारी समुदाय के लोगों ने शिव मंदिर में उपाकर्म किया। पुरोहित भुवन पांडेय ने धार्मिक कार्य संपन्न कराए। बाराकोट ब्लॉक के डोबाभागू में भी तिवारी समुदाय के लोगों ने रक्षाबंधन पर्व मनाया।
हरतालिका तृतीय पर्व पर इसलिए मनती है राखी…
चंपावत। आम हिंदू समाज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को राखी बांधते हैं। लेकिन मां पूर्णागिरि धाम के तिवारी समुदाय के पुजारियों सहित तमाम तिवारी समुदाय के पुजारियों का एक वर्ग रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाते हैं। सामवेद के अनुयायी और कोसमनि शाखा के इस समुदाय के लोग हरतालिका तृतीय को इस पर्व को मनाते हैं। तिवारियों का यह समुदाय गौतम ऋषि का अनुयायी है। बताते हैं कि एक बार ऋषियों में विवाद हो गया। गौतम ऋषि विवाद में उलझ गए और हस्त नक्षत्र का समय निकल गया। बाद में हस्त नक्षत्र भाद्रपद के शुल्क पक्ष की तृतीया यानी हरतालिका में पड़ी, तो तभी इस दिन तिवारी समाज राखी का पर्व मनाता है।