दावाग्नि अवधि बस एक दिन दूर…फिर भी है सुलह का इंतजार

वन बीट अधिकारी और आरक्षी संगठन की हड़ताल जारी
चंपावत के प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय परिसर में प्रदर्शन किया
वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में वन दरोगाओं दी गई अतिरिक्त जिम्मेदारी
देवभूमि टुडे
चंपावत। दावाग्नि अवधि (FIRE SEASON) शुरू होने में बस एक दिन बचा है, लेकिन वन विभाग की सबसे अहम कड़ी वन आरक्षी और वन बीट अधिकारियों की हड़ताल को लेकर जारी गतिरोध दूर नहीं हुआ है। आज 14 फरवरी को दूसरे दिन भी वन बीट अधिकारी और वन आरक्षी संघ ने कई मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदेश के विभिन्न डिविजनों की तरह ही चंपावत प्रभाग के 99 आरक्षी व वन बीट अधिकारियों के हड़ताल में होने से जंगलों की हिफाजत को लेकर गंभीर संकट पैदा हो गया है।
वन बीट अधिकारी व वन आरक्षी संगठन के कुमाऊं के महामंत्री बलवंत भंडारी और जिलाध्यक्ष भूपाल सिंह रावत की अगुवाई में DFO कार्यालय में काला फीता बांध दूसरे दिन शुक्रवार को भी प्रदर्शन किया गया। प्रभागीय महामंत्री हरीश चंद्र जोशी के संचालन में हुई सभा में संगठन ने आधुनिक वन सेवा नियमावली 2016 में किए गए संशोधन को रद्द करने, 10 साल की सेवा पूरी होने पर वन आरक्षियों की शत-प्रतिशत पदोन्नति, कार्य प्रवृत्ति के मद्देनजर हर साल 13 माह का वेतन देने, नियम में संशोधन कर वन बीट अधिकारियों के लिए एक स्टार लगाने का प्रावधान करने, वेतन विसंगति दूर किए जाने आदि मांगों को प्रमुखता से उठाया। प्रदर्शन ओर कार्य बहिष्कार करने वालों में जिलाध्यक्ष भूपाल सिंह रावत, हरीश जोशी, विनोद प्रकाश जोशी, हरीश तिवारी, प्रकाश सिंह, दीपक जोशी, भुवन भट्ट, रवि कुमार, विपिन आर्या, निखिलेश वर्मा, बलदेव जोशी, कमला भट्ट, अलका भंडारी, हेमलता जोशी, हेमा बोहरा, गरिमा रावत, जानकी आर्या, सुनीता कालाकोटी, रेखा भट्ट, राजेंद्र कुमार, उमेश भट्ट, प्रकाश सिंह, बलदेव जोशी, हरीश तिवारी, कुबेर आर्या, अक्षय वर्मा, कमला भट्ट, पूजा महर, दीपा, नेहा देव, हेमलता जोशी, निशा मेहता आदि शामिल थे।
वहीं DFO नवीन चंद्र पंत का कहना है कि मांगों पर निर्णय उच्च स्तर पर होना है। हड़ताल से कार्य प्रभावित हो रहा है। अलबत्ता वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में वन दरोगाओं को वनों की सुरक्षा सहित वन बीट अधिकारियों की अन्य जिम्मेदारी अतिरिक्त रूप से निभाने के निर्देश दिए गए हैं।

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