बकरीद पर दे डाली खुद की कुर्बानी…देवरिया जिले की घटना

60 साल के मोहम्मद बरसाती अंसारी ने खुद की कुर्बानी से पूर्व पत्र भी लिखा था

देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के गौरीबाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव में एक अजीबोगरीब घटना हुई। यहां बकरीद के दिन नमाज अता कर एक वृद्ध ने अपनी ही कुर्बानी दे डाली। बुजुर्ग ने पत्र में लिखा है, जिसमें इंसान बकरे को अपने बच्चे की तरह पाल पोस कर बड़ा कर कुर्बानी देता, वह भी जीव है। कुर्बानी करना चाहिए, इसलिए मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं। यह घटना इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है।
विभिन्न मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक ग्राम उधोपुर निवासी ईश मोहम्मद (60) पुत्र स्वर्गीय मोहम्मद बरसाती अंसारी हर बार बकरीद के पूर्व आंबेडकर नगर के किछौछा स्थित सुल्तान सैयद मकदुम अशरफ शाह मजार पर जाते थे। इस बार भी गए थे, जहां से 7 जून की दोपहर वापस घर आए। शनिवार को बकरीद पर मस्जिद से सुबह की नमाज अता करने के बाद करीब 10 बजे घर पहुंचे। इसके बाद अपनी झोपड़ी में सोने चले गए। करीब एक घंटे बाद झोपड़ी से कराहने की आवाज सुनकर जब उनकी पत्नी अंदर पहुंची, तो वहां का दृश्य देखकर उनके होश उड़ गए। वह दहाड़े मारकर बेहोश होकर गिर पड़ी। शोर सुनकर गांव वाले दौड़ पड़े। गांव वालों ने देखा कि ईश मोहम्मद अपने गले को बकरा हलाल करने वाले चाकू से काटकर तड़प रहे थे। लोगों ने तत्काल पुलिस और एंबुलेंस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने ईश मोहम्मद को गंभीर अवस्था में इलाज के लिए देवरिया मेडिकल कॉलेज पहुंचाया। हालत नाजुक देख प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान देर शाम को उनकी मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार ईश मोहम्मद ने अंधविश्वास में आकर अपनी बली देने के लिए चाकू से गला रेता था। जिसके लिए परिजनों को आगाह कर ईश मोहम्मद ने बाकायदा पत्र लिखकर बताया है। थानाध्यक्ष नंदा प्रसाद ने बताया कि ईश मोहम्मद अपने मजहब के अनुसार इबादत (पूजा पाठ) करते थे। आज भी वह एकांत में इबादत कर रहे थे। मामले की जांच की जा रही है।
पत्र में लिखी ये बातें:
इंसान बकरे को अपने बच्चे की तरह पाल पोसकर बड़ा कर कुर्बानी देता, वह भी जीव है। कुर्बानी करना चाहिए, मैं खुद अपनी कुर्बानी अल्लाह के रसूल के नाम से कर रहा हूं। मेरी मिट्टी या कब्र घबरा कर मत करना, कोई मुझको कत्ल नहीं किया है। सकून से मिट्टी देना, किसी से डरना नहीं।

ईश मोहम्मद। (फाइल फोटो)
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