नया सूर्योदय…पहली बार चला वाहन, तल्लादेश का टनकपुर से आधा हुआ फासला

तल्लादेश के लेटी से तरकुली होते हुए टनकपुर-जौलजीबी रोड से जुड़ी सड़क
देवभूमि टुडे
चंपावत/तल्लादेश। नेपाल सीमा से लगे तल्लादेश क्षेत्र के ढेरों गांव जल्द ही अब मैदानी क्षेत्र टनकपुर के करीब आ जाएंगे। तल्लोदश के लेटी-तरकुली सड़क से रूपालीगाड़ तक हल्के वाहनों की आवाजाही आज 15 अक्टूबर से प्रायोगिक तौर पर शुरू हो गई है। उनका कहना है कि ये उनके लिए नई आजादी सरीखा है। यह सड़क निर्माणाधीन टनकपुर-जौलजीबी सड़क के पड़ाव रूपालीगाड़ से मिल गई है। रूपालीगाड़ से 55 किलोमीटर दूर टनकपुर तक सड़क है। अलबत्ता अभी मार्ग पर चूका में एक पुल के निर्माण का काम चल रहा है। इससे क्षेत्र के आह्लादित लोगों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया है।
तल्लादेश के मंच-लेटी-तरकुली मार्ग से 8 किलोमीटर दूर रूपालीगाड़ तक की सड़क से मंगलवार को पहला वाहन चला। ग्राम प्रधान राकेश सिंह ने बताया कि पहली बार इस मार्ग से जीप चलना लोगों के लिए सच्ची आजादी सरीखा था। गांव के ढेरों लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने वाहन को पहली बार देखा। प्रधान का कहना है कि ये सड़क तल्लादेश क्षेत्र के लोगों को राहत देने के साथ ही विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। उत्तराखंड मंडी परिषद के अध्यक्ष अनिल डब्बू, मंडी समिति के महाप्रबंधक विजय सिंह, सहायक अभियंता एके पैन्यूली, कनिष्ठ अभियंता आजम मलिक, मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय के नोडल अधिकारी केदार सिंह बृजवाल, वन विकास निगम के सदस्य हरीश भट्ट आदि के सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
तल्लादेश के लोगों को अब तक मैदानी क्षेत्र टनकपुर जाने के लिए कुल 126 किलोमीटर (पहले तामली से 51 किलोमीटर दूर चंपावत और फिर 75 किलोमीटर दूर टनकपुर पहुंचना) होता है। लेकिन अब तल्लादेश के लोग चंपावत आए बगैर सीधे टनकपुर जा सकेंगे। इससे करीब आधी दूरी कम होगी। इससे समय और आवाजाही के खर्च में कमी आएगी।
सड़क से होंगे ये लाभ:
1.तल्लादेश की मैदान से सड़क दूरी कम होगी।
2.SSB की बॉर्डर आउटपोस्ट के जवानों को सुविधा मिलेगी।
3.किसानों को अपनी उपज टनकपुर मंडी तक पहुंचाना आसान होगा।
4.ग्रामीणों को पैदल दूरी से निजात मिलेगी।

विधायक निधि से निर्मित सड़क के रखरखाव के लिए बजट का प्रावधान हो: हरगोविंद बोहरा
चंपावत। चंपावत जिले में ग्रामीण क्षेत्रों की ढेरों सड़कें विधायक निधि से बनी है। ये सड़कें लोगों के लिए मददगार भी बनी है, लेकिन कई जगह रखरखाव की कमी मुश्किलें भी पैदा कर रही हैं। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी हरगोविंद सिंह बोहरा का कहना है कि विधायक निधि की सड़कें ज्यादातर नाप जमीन पर बनी है। लेकिन मानसूनी आपदा या अन्य वजह से रोड क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मत की दिक्कत आती है। बोहरा का कहना है कि ऐसी सड़कों के रखरखाव के लिए बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए। उन्होंने इसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आग्रह किया है।

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