काव्य अमृत: स्टैंड पोस्ट का नल बेचारा, खड़ा रहा बस पड़ा रहा…

कूर्मांचल एंग्लो संस्कृत विद्यालय चंपावत द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन
हिंदी और कुमाऊंनी साहित्य के विविध स्वरूपों पर हुई चर्चा
देवभूमि टुडे
चंपावत। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच की ओर से आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने समसामयिक विषयों पर आधारित कविताओं के जरिए मौजूदा हाल को बया किया। चेतना मंच के अध्यक्ष डॉ. तिलक राज जोशी की अध्यक्षता और डॉ. सतीश चंद्र पांडेय के संचालन में हुई गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत प्रधानाचार्य डॉ. बीसी जोशी ने -लालन पालन दुष्कर कितना, सहज सरल इसको माना, अपलक कितनी रात बिताई, बच्चों ने यह कब जाना…, कविता के जरिए माता पिता के बच्चों के प्रति ममता को उकेरा।
सेवानिवृत पुष्कर सिंह बोहरा ने-प्रतिबिंब को रात को अंधकार का अक्सर माना जाता है, चहुं ओर व्याप्त घनघोर तमस मन में भय पैदा करता है…, कवि हिमांशु जोशी ने -मां की दास्तां कहां लफ्जों में बयां होती है, वो खुशनसीब हैं खूब, जिनके पास मां होती है…, युवा कवि दीपक जोशी ने -बचपन में थी नादानी, करते थे हम मनमानी, दादी की वो कहानी सपना था बस जवानी…, मंच के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. तिलक राज जोशी ने -हम मिले जिस मोड़ पर, उस मैकदे का यह असर, आदमी वे ही मगर, बदली हुई हुई सबकी नजर…कविता से वाहवाही लूटी।
डॉ. सतीश चंद्र पांडेय ने -स्टैंड पोस्ट का नल बेचारा, खड़ा रहा बस पड़ा रहा, एक बूंद भी टपक न पाई, ऐसा सूखा पड़ा रहा… के जरिए जल की कमी को सामने रखा। गोष्ठी के दौरान मई माह में जन्मे प्रख्यात लेखक सुमित्रानंदन पंत और मंगलेश डबराल के साहित्यिक जीवन पर भी चर्चा हुई।

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