

31 जुलाई तक बढ़ा उत्तराखंड के 12 जिलों की त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल
निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्षों से वापस ले ली गई है प्रशासकों की जिम्मेदारी
देवभूमि टुडे
चंपावत। त्रिस्तरीय पंचायतों में अब निवर्तमान मुखिया प्रशासक नहीं होंगे। प्रशासक के रूप में उनके कार्यकाल को आगे नहीं बढ़ाया गया है। शासन द्वारा 9 जून को जारी आदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रशासक की जिम्मेदारी अधिकारियों को सौंपी गई है। पंचायतों में प्रशासकों की व्यवस्था 31 जुलाई तक होगी।
ये आदेश उत्तराखंड में हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष 12 जिलों के लिए लागू होगा। जिला पंचायत के प्रशासकों की जिम्मेदारी एक बार फिर संबंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेटों की होगी। इसी तरह क्षेत्र पंचायत में ये दायित्व संबंधित तहसील के SDM का होगा। जबकि ग्राम पंचायत में ये जिम्मेदारी सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को दी गई है।
नई व्यवस्था के मुताबिक अब DM नवनीत पांडे चंपावत जिला पंचायत के प्रशासक होंगे। चंपावत क्षेत्र पंचायत के प्रशासक की जिम्मेदारी चंपावत के SDM अनुराग आर्य की होगी। जबकि पाटी क्षेत्र पंचायत का जिम्मा पाटी, लोहाघाट व बाराकोट क्षेत्र पंचायतों के प्रशासक की जिम्मेदारी लोहाघाट के SDM की होगी। पाटी और लोहाघाट में इस वक्त एक ही SDM नीतू डांगर के होने से तीनों क्षेत्र पंचायतों के प्रशासकों का दायित्व उनका ही होगा।
उत्तराखंड के 12 जिलों के क्षेत्र पंचायतों और ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल नवंबर में, जबकि जिला पंचायतों का कार्यकाल 2 दिसंबर को समाप्त हुआ था। तब शासन ने जिला पंचायतों के निवर्तमान अध्यक्षों को ही प्रशासक बनाया था। इसी तरह से क्षेत्र पंचायतों के निवर्तमान प्रमुखों को प्रशासकों की जिम्मेदारी दी गई थी। तब ग्राम पंचायतों के प्रशासकों का दायित्व भी निवर्तमान ग्राम प्रधानों को दिया गया था। अलबत्ता अब नए आदेश में शासन ने इस व्यवस्था में बदलाव किया है।

