वन पंचायतों में बंद हो ठेकेदारी…सरपंचों की मांग

विधानसभा अध्यक्ष से मिला उत्तराखंड वन पंचायत सरपंच संगठन का प्रतिनिधिमंडल
देवभूमि टुडे
चंपावत/देहरादून। उत्तराखंड वन पंचायत सरपंच संगठन ने वन पंचायतों को ग्राम प्रधानों के अधीन लाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। सरपंचों के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस सहित कई मुद्दों को लेकर देहरादून में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की। सरपंचों ने कहा कि वे जल, जंगल व जमीन के रक्षक और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अपनी पूरी सामथ्र्य से काम कर रहे हैं, इसके बावजूद उन्हें जरूरी अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं।
संगठन का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने इन मांगों पर गौर करने का आश्वासन दिया है। विधानसभा अध्यक्ष से मिलने से पूर्व सरपंच संगठन का प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक से मिल समाधान का आग्रह किया। प्रतिनिधिमंडल में वन पंचायत सरपंच संगठन के संरक्षक गणेश चंद्र जोशी, निशा जोशी, बीना बिष्ट, कमलेश जीना, दान सिंह कठायत, प्रयाग सिंह जीना, नंद किशोर, कुतुबद्दीन अमोली, भीम सिंह नेगी, हेम चंद्र कपिल, दान सिंह कठायत, सुरेंद्र सिंह, हिम्मत सिंह, त्रिभुवन सिंह, प्रेम कुमार, नयन सिंह मेहरा, प्रकाश भट्ट, कुंदन सिंह, नरेश सिंह, जगदीश सिंह महर, विनोद सिंह आदि शामिल थे।
सरपंचों ने की ये मांगें:
1.वन पंचायतों को ग्राम प्रधानों के अधीन लाने संबंधी प्रस्ताव को निरस्त करना।
2.वन पंचायतों को वित्तीय व कानूनी अधिकार प्रदान करने के लिए प्रचलित नियमावली में उचित संशोधन।
3.सलाहाकार परिषद के गठन में सरपंचों को रखने व प्रदेश परामर्शदात्री समिति में भी सरपंचों को रखने।
4.वन पंचायत प्रतिनिधियों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन, तकनीकी प्रशिक्षण व सम्मानजनक मानदेय प्रदान करने।
5.वन पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में ठेकेदारी व एनजीओ के अनावश्यक हस्तक्षेप को समाप्त करने व वन पंचायत की अनापत्ति के बिना कोई कार्य नहीं कराने।
6.ग्रामवासियों को उनके हक-हकूक (जिसमें वर्ष 1980 से कटौती कर दी गई है, जिससे ग्रामवासी अपनी जरूरत पूर्ण करते थे) को वापस देने की मांग।

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