पंचायतों का कोई नहीं मुखिया…बढ़ा नहीं प्रशासकों का कार्यकाल

पंचायती राज एक्ट में संशोधन के अध्यादेश को राजभवन ने लौटाया
हरिद्वार को छोड़कर उत्तराखंड के 12 जिलों की 7478 ग्राम पंचायतें, 89 क्षेत्र पंचायतें और 12 जिला पंचायतें मुखियाविहीन देवभूमि टुडे
चंपावत/ देहरादून। उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासकों की पुनर्नियुक्ति संबंधी अध्यादेश को राजभवन ने बिना मंजूरी के लौटा दिया है। इस कारण त्रिस्तरीय पंचायतों के मुखियाओं को लेकर असमंजस बना हुआ है। इससे पंचायतों में संवैधानिक संकट की नौबत आ गई है।
त्रिस्तरीय पंचायतों के बोर्ड का कार्यकाल पिछले साल नवंबर-दिसंबर में पूरा हो गया था। तब निर्वाचित मुखियाओं को ही 6 माह के लिए प्रशासक बना दिया गया था। लेकिन ये कार्यकाल भी कुछ दिन पहले खत्म हो गया। प्रशासकों की पुनर्नियुक्ति के लिए पंचायती राज विभाग ने आनन-फानन में प्रस्ताव तैयार किया। जिसे पहले विधायी विभाग यह कहते हुए लौटा चुका था कि कोई अध्यादेश यदि एक बार वापस आ गया, तो उसे फिर से उसी रूप में नहीं लाया जाएगा। विधायी विभाग की इस आपत्ति के बावजूद अध्यादेश को राजभवन भेज दिया गया।
राज्यपाल के सचिव रविनाथ रामन के मुताबिक विधायी विभाग की आपत्ति का निपटारा किए बिना इसे राजभवन भेजा गया। जिसे विधायी को वापस भेज दिया गया है। इसमें कुछ तथ्य स्पष्ट नहीं हो रही थीं, इसके बारे में पूछा गया है। इसमें विधायी ने कुछ मसलों को उठाया था। राजभवन ने इसका विधिक परीक्षण किए जाने के बाद इसे लौटाया है।
10760 त्रिस्तरीय पंचायतें हुईं मुखिया विहीन हरिद्वार को छोड़कर उत्तराखंड के 12 जिलों की 7478 ग्राम पंचायतें, 89 क्षेत्र पंचायतें और 12 जिला पंचायतें मुखियाविहीन हो गई हैं। राज्य में पहली बार इस तरह की स्थिति बनी है।

प्रतीकात्मक फोटो।
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