
प्रिंट मीडिया के हाल
चंपावत की 28 फरवरी को हुई बोर्ड बैठक की खबर का किया बहिष्कार
देवभूमि टुडे
चंपावत। शुक्र है। मैदान की नगर पालिका बोर्ड की 3 मार्च को हुई बैठक की खबर आज 4 मार्च को प्रिंट मीडिया में छप गई, छुपी नहीं। इससे उम्मीद बंधी है। आशंका के बादल छंटे। निकाय बोर्ड की बैठक की खबर आदर्श जिले के निकायों की छपेगी। आदर्श जिले का मुख्यालय जरूर अपवाद रहेगा। चंपावत में 28 फरवरी को मुख्यालय की नगर पालिका की बोर्ड बैठक हुई थी, लेकिन अखबारों में कहीं नहीं दिखी।
जनवरी में नगर निकाय के चुनाव निपटे। बोर्ड गठन हुआ, शपथ हुई, परिचयात्मक बैठक हुई। इन सबके बाद की चंपावत की यह पहली बैठक थी। लेकिन किसी भी अखबार ने इसे नहीं छापा। सबने छुपाया। सबने मिलकर और संगठित तरीके से रजामंदी के साथ नहीं छापा। क्यों नहीं छापा? इसके पीछे क्या मंशा रही? कारण चाहे जो भी हो, लेकिन छापने-छुपाने के इस खेल से प्रिंट मीडिया के प्रति पहले से ही बढ़े अविश्वास का और विस्तार हुआ।
सवाल उठ रहा है कि जब जिला मुख्यालय की नगर पालिका की खबर को प्रिंट मीडिया दबा सकता है, पाठकों और आम नागरिकों को उस बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी से वंचित रख सकता है, तो दूरदराज या अन्य खबरों का हाल क्या होता होगा? जो खबरें छप भी रही हैं, उनमें तथ्यात्मकता कितनी होती होगी? पत्रकारिता से पीत पत्रिकारिता और अब पतित पत्रकारिता तक के सफर के बीच पत्रकारों और पत्रकारिता की कोई जिम्मेदारी नहीं है, ये छापने और छुपाने के खेल ने बता दिया है।



