होली गीत: वंदना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला दे…

चंपावत की कलश संगीत कला समिति की ओर से होली गायन में बिखरे होली के बहुरंग
देवभूमि टुडे
चंपावत। पौष मास के चतुर्थ रविवार (5 जनवरी) को कलश संगीत कला समिति के चंपावत के खड़ी बाजार में शास्त्रीय संगीत पर आधारित बैठकी होली में होली गायन के बहुरंग बिखरे। सेवानिवृत्त शिक्षक धरम सिंह अधिकारी और नारायण दत्त जोशी की अध्यक्षता में हुई होली बैठकी गायन का शुभारंभ गिरीश पंत ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। बाल कलाकार लक्षिता ने- वंदना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला दे… वंदना प्रस्तुत की। आयुष भट्ट ने राग काफी में ं-जटन विराजत गंग, भोले नाथ दिगंबर…, हिमेश कलखुडिय़ा ने राग काफी में-टूट गयो शिव ध्यान, बंसुरिया कितनी सुहानी…, धरम सिंह अधिकारी ने राग काफी में- तू मृत्युलोक में आई, नमो जग तारिणी भृगु तारिणी…, गिरीश पंत ने राग काफी में -हरि का नाम है सांचा, बाकी सब नाम हैं झूठे…, महेश जोशी ने राग धमार में – मन सुख लाओ, मृदंग नाचत आई.. होली गीत से श्रोताओं को होली के रंग से सराबोर कर दिया। मानस पंत ने तबले में शानदार प्रस्तुति दी। इस अवसर पर चंद्रावली, प्रेमबल्लभ भट्ट, संतोष पांडे, दिनेश बिष्ट, शांति जोशी ने भी होली राग प्रस्तुत किए। प्रकाश जोशी, श्याम गिरी, रंजेश गिरी आदि ने होल्यारों का उत्साहवद्र्धन किया।

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