

नशा है करता नाश इसको शान ना समझो,
लेता है ये तो फांस इसको शान ना समझो।
कहता है जो भी आपसे कि त्याग दो नशा, हितैषी हैं वो आपके इसे अपमान ना समझो। तन को नाशे मन को नाशे धन को ये नाशे, सुख छीन के परिवार का अमन को ये नाशे। रोगों का मूल दु:खों का शूल त्याग दो इसे, देगा कोई भी आपको सम्मान ना समझो।
जनकवि प्रकाश जोशी शूल, संयोजक, नशामुक्त परिवेश एवं स्वच्छ पर्यावरण…एक अभियान।

