श्रद्धा का सैलाब…नवरात्र पर मां पूर्णागिरि धाम में उमड़े 50 हजार श्रद्धालु

मां पूर्णागिरि का धाम में गूंजा जय माता दी… का उद्घोष
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए चार जगह लगाए गए थे बैरियर
मुख्य मंदिर तक 400 मीटर फासले को तय करने में लगे चार से पांच घंटे
देवभूमि टुडे
चंपावत/पूर्णागिरि धाम। नवरात्र शुरू होने के साथ ही मां पूर्णागिरि धाम मेला क्षेत्र जय माता दी… के उद्घोष से गुंजायमान रहा। मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। मंगलवार को पहले दिन 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मां के दरबार में मत्था टेका। भारी भीड़ के चलते श्रद्धालुओं को दुश्वारी भी हुई। मुख्य मंदिर से पूर्व काली मंदिर, नागा क्षेत्र, तिलहर धर्मशाला के पास श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित करने के लिए बंदोबस्त किया गया था। साथ ही सीढिय़ों से मुख्य मंदिर तक करीब ४०० मीटर के फासले को तय कर देवी दर्शन करने में चार से पांच घंटे लगे। वाहनों का लंबा काफिला रहा।
पहले दिन बदायू, बरेली, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत सहित उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों से श्रद्धालु देवी दरबार में पहुंचे। पूर्णागिरि मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी ने बताया कि मेले में पहले दिन 50 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। पहली नवरात्र के अलावा चेटी चंद जयंती की छुट्टी होने से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस का पुख्ता बंदोबस्त था। पुलिस अधीक्षक अजय गणपति के मुताबिक मेले में हिफाजत के सभी प्रबंध किए गए थे। यातायात नियंत्रण और जाम से बचाव के लिए भी जरूरी कदम उठाए गए थे।
वहीं काली मंदिर थाने के प्रभारी देवनाथ गोस्वामी और मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी के नेतृत्व में श्रद्धालुओं की भारी संख्या को नियंत्रित करने के लिए दिनभर पुलिस और स्वयंसेवकों की टीम जुटी रही। जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी और पूर्णागिरि के मेला अधिकारी आकाश जोशी ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग, रैनबसेरे, पेयजल, स्वास्थ्य, सफाई सहित सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई थी। अखंड धुनी स्थल पर नवरात्र में श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में अखंड ज्योति प्रज्वलित की। श्रद्धालुओं की ओर से ये ज्योति नवरात्र भर जलाई जाती है। इस मौके पर पंडित कुलदीप कुलेठा, पंडित पूरन तिवारी, पंडित किशन तिवारी, नेत्र बल्लभ तिवारी, पंडित राजू तिवारी, पंडित मोहन पांडे, पंडित जगदीश तिवारी आदि मौजूद थे। चैत्र माह की पहली नवरात्र प्रतिपदा को प्राचीन धूनी स्थल पर देवी मां की अखंड ज्योति जलाने के साथ हरेला भी बोया गया। चैत्र और शारदीय नवरात्र में ये ज्योति दोनों बार प्रज्वलित की जाती है।

error: Content is protected !!