अशिक्षा है अभिशाप, सभी की हो शिक्षा…

चंपावत में साहित्यिक चेतना मंच की मासिक काव्य गोष्ठी
देवभूमि टुडे
चंपावत। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच द्वारा आयोजित मासांत रविवारीय काव्य गोष्ठी में पलायन, देशप्रेम से जुड़े मुद्दों पर कवियों ने काव्य पाठ किया। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत प्रधानाचार्य डॉ. भुवन चंद्र जोशी की अध्यक्षता और फार्मेसी अधिकारी डॉ. सतीश चंद्र पांडेय के संचालन में 25 मई को हुई काव्य गोष्ठी में किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य जन कवि प्रकाश चंद्र जोशी शूल ने ये कविता पेश की-‘सदा ही वहम में जीते हैं कुछ लोग, सदा ही अहम में जीते हैं कुछ लोग’। ग्राम्य विकास विभाग के सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी सुभाष चंद्र जोशी ने-‘वे दिन कितने अच्छे थे, जब हम भी बच्चे थे’ और चंद्रशेखर टिटगाई ने- ‘मैं औरत पहाड़ की हूं’, BSF से सेवानिवृत्त पुष्कर सिंह बोहरा ने कहा-‘अश्रु किसी की आंखों में यूं ही नहीं आ जाते हैं, गहरी चोट लगती है दिल बाहर निकल आते हैं’। इसके अलावा नवीन चंद्र पंत ने ‘बाख़ली का दर्द’, युवा कवि अंकित भट्ट अंशु ने ‘क्या टिहरी आजाद हो गई’, डॉ. भुवन चंद्र जोशी ने-‘अशिक्षा है अभिशाप, सभी की हो शिक्षा, शिक्षा का अधिकार सबको दिला दो’, डॉ. सतीश चंद्र पांडेय ने ‘पाकिस्तान जन करै, जन करै, हामू कै परेशान, न त तेरो, मिटे दयूना तेरो नामोनिशान’ और मीनाक्षी बोहरा ने ‘कितने अच्छे, कितने सुंदर होते हैं बच्चों के खेल’ आदि कविताएं सुनाईं। गोष्ठी में दयाशंकर जोशी, दीपांशु, अंकित जोशी, विवेक कलोनी, पंकज, हिमांशु, दिनेश जोशी आदि मौजूद थे।

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