10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मत्था टेका, अखंड धुनिस्थल में 10 दिनी श्रीमद् देवीभागवत कथा होगी
देवभूमि टुडे
चंपावत/पूर्णागिरि धाम। शारदीय नवरात्र के पहले दिन आस्था के धाम मां पूर्णागिरि मंदिर में देवी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। अधिकांश श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के थे। मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी ने बताया कि 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने नवरात्र के पहले दिन 3 अक्तूबर को देवी मां का आशीर्वाद लिया। भीड़ के चलते मुख्य मंदिर के पास श्रद्धालुओं को कुछ देर तक इंतजार करना पड़ा।
वहीं धुनि स्थल से मां पूर्णागिरि मंदिर तक सुबह 8 बजे से महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में कलश यात्रा निकाली। यात्रा में ग्राम प्रधान मंजू पांडेय, हेमा तिवारी, खीमा देवी, कमला पांडेय, गंगा पांडेय, बबीता पांडेय, राधा पांडेय, शकुंतला उप्रेती, ललिता तिवारी, पार्वती तिवारी, पार्वती पांडेय, मंजू पांडेय, विमला पांडेय आदि शामिल थे। कूला पुरोहित पंडित कुलदीप कुलेठा और छवि पांडेय ने धार्मिक अनुष्ठान किए। इस मौके पर पंडित मोहन पांडेय,मंदिर समिति अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी, उपाध्यक्ष नीरज पांडेय, सचिव सुरेश तिवारी, कोषाध्यक्ष नवीन तिवारी, पूर्व अध्यक्ष भुवन पांडेय,पूर्व कोषाध्यक्ष कैलाश पांडेय, राजू तिवारी, नेत्रबल्लभ तिवारी, जगदीश तिवारी, मनोज पांडेय, महेश पांडेय, पंकज तिवारी, भीमदत्त पांडेय, प्रकाश पांडेय आदि मौजूद थे। धुनि स्थल में आज बृहस्पतिवार से 10 दिनी श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रीगणेश होगा। दोपहर 2 बजे से शुरू होने वाली कथा को पंडित गिरीशानंद शास्त्री जी रसास्वादन कराएंगे।
श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या से धाम के कारोबारियों और टैक्सी संचालकों के चेहरे भी खिल उठे। एसडीएम आकाश जोशी ने बताया कि मेला क्षेत्र में पेयजल,
परिवहन से लेकर अधिकांश व्यवस्थाएं सुचारू थी। धाम क्षेत्र में अखंड धूनी स्थल में पूजा-अर्चना हुई। पंडित मोहन पांडे, पंडित कुलदीप कुलेठा, छविदत्त पांडे ने पूजन कराया।
वहीं शारदीय नवरात्र के लिए मेले की व्यवस्थाएं आमतौर पर ठीक रही, लेकिन बूम से ठुलीगाड़ तक पथ प्रकाश काम नहीं कर रहा है। इसी तरह बूम के पास सोलर पेयजल आपूर्ति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ: आस्था का अनोखा धाम
पूर्णागिरि धाम (चंपावत)। नेपाल सीमा से लगे पहाड़ी जिले चंपावत के मैदानी हिस्से टनकपुर से 22 किलोमीटर दूर पूर्णागिरि देवी का दरबार आस्था का अनोखा धाम है। साढ़े पांच हजार फीट ऊंची छोटी सी पहाड़ी पुण्यागिरि (पवित्र पहाड़ी) पर स्थित इस मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ को देवी सती की नाभि स्थली के रूप में भी माना जाता है। पूर्णागिरि मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी बताते हैं कि देवी मां अपने भक्तों की मनोकामना को फलीभूत करती है।
मान्यता: शिव महापुराण के अनुसार कनखल में मां पार्वती के पिता राजा दक्ष प्रजापति ने महायज्ञ में अपनी पुत्री के पति भगवान शंकर को न्यौता नहीं दिया। पति के इस अपमान से क्रोधित पार्वती यज्ञ स्थल पहुंचीं
और अपमान का प्रतिकार करते हुए यज्ञ के हवन कुंड में कूद कर सती हो गई। रौद्र रूप में आए भगवान शंकर अपनी पत्नी पार्वती के शव को लेकर ब्रह्मांड
में विचरण करने लगे। शंकर के इस रूप को देख देवी-देवताओं में भय फैल गया। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के 51 टुकड़े कर
दिए। मान्यता है कि मां सती के अंग जहां-जहां गिरे, वहां कालांतर में शक्तिपीठ स्थापित हो गए। यहां पुण्य शिखर पर देवी सती की नाभि गिरी थी, इस कारण मां पूर्णागिरि शक्तिपीठ को देवी सती की नाभि स्थली के रूप में भी माना जाता है।
ऐसे पहुंचेंगे पूर्णागिरि धाम:
मैदानी क्षेत्रों के ज्यादातर भक्त टनकपुर तक पहुंचने के लिए रेल मार्ग का उपयोग करते हैं। टनकपुर से 19 किलोमीटर दूर सड़क मार्ग से भैरो मंदिर तक पहुंचते हैं। यहां से तीन किलोमीटर की पैदल दूरी को पार कर पहाड़ी के शिखर पर स्थित देव मां के दर्शन करते हैं।