DOUBLE MURDER में 7 गुनाहगारों को उम्र कैद

अपर जिला एवं सत्र न्यायालय का फैसला, खटीमा के बगुलिया में नवंबर 2011 में प्रेम-प्रसंग के चलते हुई थी दो युवकों की हत्या
देवभूमि टुडे
खटीमा ( ऊधमसिंह नगर)। खटीमा के बगुलिया में प्रेम प्रसंग के मामले में 23 नवंबर 2011 में हुए दोहरे हत्याकांड के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मंजू सिंह मुंडे ने 7 लोगों को हत्या का दोषी पाया है। सभी सातों गुनाहगारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। मामले में 2 आरोपियों की मौत हो चुकी है। 2 लोगों को बरी कर दिया गया था। 3 लोगों ने स्वयं को नाबालिग बताया है। इसमें 2 का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। 1 ने स्वयं को नाबालिग साबित किया है। इस कारण उसका मामला बाल न्यायालय में चलेगा।
बड़ी बगुलिया निवासी शिव शंकर ने झनकइया थाना पुलिस को तहरीर सौंपकर आरोप लगाया था कि 23 नवंबर 2011 को हत्यारोपियों ने उनके बेटे राज किशोर और उपेंद्र पुत्र रामरक्षक को अपने घर बुलाया। आरोपियों ने अपनी बेटियों से प्रेम प्रसंग के शक पर दोनों युवकों की हत्या कर दी। 24 नवंबर 2011 को पुलिस ने केस दर्ज कर बड़ी बगुलिया निवासी सुलगन के 4 बेटे अमर, विदेशी, परदेशी व दीनानाथ, परदेशी का पुत्र अजय कुमार, रामाज्ञ, रामाज्ञ का पुत्र सतेंद्र, इंद्रासन का बेटा रामाधार, ध्यान का का बेटा करन यादव, इंद्रासन का पुत्र मोहन के अलावा 3 नाबालिग को नामजद किया था। फरवरी 2012 को जब आरोप पत्र दाखिला किए गए, तो 3 और लोग ऊंची बगुलिया निवासी प्रभुनाथ, मुन्ना लाल और सिसैया बंधा निवासी पंचानन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। न्यायालय में विचारण के दौरान एफआईआर में नामित अभियुक्त अजय कुमार, रामाधार, सतेंद्र, विदेशी, दीनादनाथ, अमरनाथ, परदेशी और 3 नाबालिग को सह अभियुक्त बनाया। विचारण के दौरान न्यायालय की ओर से इन अभियुक्तों को मुजरिम बनाया गया। 1 अगस्त को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मंजू सिंह मुंडे ने अजय कुमार, रामाधार, सतेंद्र, विदेशी, परदेशी, दीनानाथ और अमरनाथ को IPC की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास व 10-10 हजार का जुर्माना व IPC की धारा 201 में 7 वर्ष का कठोर कारावास व पांच-पांच हजार के जुर्माने से दंडित किया। ADGC सौरभ ओझा ने 19 गवाह पेश किए।
न्यायालय की ओर से विचारण के दौरान एक आरोपी के प्रार्थना पत्र और साक्ष्यों के आधार पर नाबालिग घोषित किया गया। जिसका विचारण बाल न्यायालय में चलेगा। इसके अलावा दो अन्य ने स्वयं को नाबालिग सिद्ध करने के लिए उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है। उच्च न्यायालय की ओर से उनके निर्णय पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाने का आदेश पारित किया गया है।

प्रतीकात्मक फोटो।
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