चंपावत में साहित्य चेतना मंच की ओर से साल 2024 की अंतिम काव्य गोष्ठी को कवियों ने यूं दी विदाई
देवभूमि टुडे
चंपावत। चंपावत में साहित्य चेतना मंच की ओर से साल 2024 की अंतिम काव्य गोष्ठी को कवियों ने कविता पाठ से विदाई दी। चंपावत के कूर्मांचल एंग्लो संस्कृत विद्यालय में साहित्य चेतना मंच की ओर से 29 दिसंबर को महीने और साल की अंतिम काव्य गोष्ठी में कवियों ने विभिन्न सम-सामयिक मुद्दों पर रचनापाठ करते पुराने साल को विदाई और नए साल का अभिनंदन किया।
संस्कृत के विद्वान राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. कीर्तिबल्लभ सक्टा की अध्यक्षता में हुई काव्य गोष्ठी में रचनाकार पुष्कर सिंह बोहरा ने-‘हिंदू, हिंदुत्व जाना नहीं, उठ गए अनेक सवाल, समय-समय में बहस छिड़ी’, खूब हुआ बवाल कविता से आगाज किया। डॉ. सक्टा ने -‘अखंडता ही इस राष्ट्र की है, विकास की साधन रूप माला, इसे न तोड़े हम भूल के भी, जाने महाशक्ति यही हमारी’। शिक्षक नवीन चंद्र पंत ने काव्यपाठ करते हुए कहा-‘फिर एक वर्ष चला गया, कुछ पुरानी यादें छोड़ गया, कुछ नयी बातों को जोड़ गया’- वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. तिलकराज जोशी ने रचना पाठ करते हुए कहा ‘मंदिर-मंदिर मद द्राक्षासव सा, आगत हर पल खुशियां भर दे, प्रेमांकुर नूतन किसलय सा, विकसित हर उर को भी कर दे’। जन कवि प्रकाश जोशी शूल ने नए साल का यूं स्वागत किया-‘नववर्ष खुशियां सहर्ष लाए, हर्ष में मन भंवर गाए। 2024 जो दे ना सका, वो वर्ष 25 हमको दिलाये’।