सांस की बीमारी में ‘डोली’ ही बस आस…3 घंटे में पार किया 12 किमी पैदल मार्ग

नेपाल सीमा से लगे तल्लादेश के बकोड़ा क्षेत्र का मामला, मंच के बाद एंबुलेंस से 31 किमी दूर चंपावत जिला अस्पताल पहुंचाया
वन आपत्ति के फंदे में लटकी 2012 में मंजूर मंच-बकोड़ा सड़क
देवभूमि टुडे
चंपावत/तल्लादेश। नेपाल सीमा से लगे तल्लादेश के बकोड़ा क्षेत्र के लोग सड़क नहीं होने का खामियाजा अक्सर भुगत रहे है। 28 दिसंबर को ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया। एकाएक तबीयत बिगड़ने पर एक बीमार को बकोड़ा से मंच गांव तक 12 किमी के दुर्गम रास्ते को 3 घंटे से अधिक समय में डोली के सहारे पार करना पड़ा।
तल्लादेश के बकोड़ा के मोस्टी तोक के 54 वर्षीय चतुर सिंह बोहरा पुत्र जगनाथ सिंह को पहले से ही सांस की तकलीफ थी, लेकिन 28 दिसंबर की सुबह तबीयत एकाएक बिगड़ गई। बीमार व्यक्ति को डोली से ग्रामीण फतेह सिंह, गंगा सिंह, मनोज सिंह, बलवंत सिंह, कुंदन सिंह, शेखर सिंह, विनोद सिंह आदि ने बकोड़ा से मंच गांव पहुंचाया। मंच के बाद एंबुलेंस से 31 किमी दूर चंपावत जिला अस्पताल पहुंचाया। इलाज के बाद चतुर सिंह की हालत में सुधार है। निवर्तमान क्षेत्र पंचायत सदस्य रंजना बोहरा, दिनेश बोहरा, नरेंद्र सिंह आदि का कहना है कि रोड नहीं होने से मरीजों को इसी प्रकार डोली के सहारे मुख्य सड़क तक पहुंचाना उनकी बाध्यता है।
करीब 12 किमी लंबी मंच-बकोड़ा सड़क 2012 में मंजूर हुई थी, लेकिन वन भूमि हस्तांतरण नहीं होने के कारण सड़क नहीं बन सकी है। वहीं डीएम नवनीत पांडे का कहना है कि मंच-बकोड़ा सड़क प्राथमिकता वाली सड़क है। सड़क की वन अनापत्ति के लिए प्रक्रिया गतिमान है।

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