ताकि ना जलें जंगल: इंसानी लापरवाही कम हो, तभी बचेंगे जंगल: मास्टर ट्रेनर पाठक

अग्रि नियंत्रण एवं आपदा प्रबंधन की चंपावत में हुई कार्यशाला
आपदा प्रबंधन विभाग ने सरपंचों को दिए आग बुझाने में मददगार उपकरण व किट
देवभूमि टुडे
चंपावत। शीतलाखेत मॉडल के प्रणेता और मास्टर ट्रेनर गजेंद्र पाठक ने कहा कि जंगलों को आग से बचाने के लिए जन सहभागिता जरूरी है। वन विभाग और जिला प्रशासन ही नहीं, वन पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी सक्रिय भागीदारी दावाग्रि से बचाव के लिए निभानी होगी। चंपावत में वन पंचायत सभागार में 12 फरवरी को अग्रि नियंत्रण एवं आपदा प्रबंधन की हुई कार्यशाला में पाठक ने आग से बचाव और दावाग्रि होने पर कम से कम नुकसान के उपाय बताए। उन्होंने कहा कि चीड़ के कारण जंगल को उतना खतरा नहीं है, जितना मानवीय चूक से होता है। मास्टर ट्रेनर ने कहा कि अगले कुछ वर्षों में नए पौधारोपण करने पर रोक लगाना लाभदायक होगा। जंगल ANR (Assisted Natural Regenaration) के जरिए जंगल खुद-ब-खुद विकसित होगा।
प्रभागीय वनाधिकारी नवीन चंद्र पंत की अध्यक्षता में हुई कार्यशाल में फायर सीजन (15 फरवरी से 15 जून तक) पर जंगल की आग के खतरों को कम करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। इसके लिए कल 13 फरवरी को दो (लमाई और धूनाघाट) जगह मॉक ड्रिल करने के अलावा क्रू स्टेशन और फायर वॉचरों की तैनाती सहित अन्य कई प्रभावी उपाय किए गए हैं। प्रशिक्षण में बड़ी संख्या में वन पंचायतों के सरपंचों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में चंपावत विकासखंड के सरपंचों को आग बुझाने में मददगार उपकरण व किट आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से दिया गया।
उप प्रभागीय वनाधिकारी नेहा सौन के संचालन में हुई कार्यशाला में चंपावत के वन पंचायत संगठन के जिलाध्यक्ष डीएस कठायत, राजेंद्र भंडारी, वन क्षेत्राधिकारी दिनेश चंद्र जोशी, डिप्टी रेंजर चतुर सिंह, वन दरोगा मोहित चौड़ाकोटी, राजेंद्र पांडेय, घनश्याम फुलारा, सुंदर सिंह सामंत, वन बीट अधिकारी भुवन भट्ट, हरीश जोशी, बलवंत भंडारी, भूपाल रावत, कुंवर सिंह, मोहन तिवारी, निशा मेहता, उमेश भट्ट, गौरव, किशोर भट्ट, राजेंद्र दुमका सहित बड़ी संख्या में सरपंच मौजूद थे।

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