

आरक्षण पर रोटेशन की प्रक्रिया पर उठा सवाल
उत्तराखंड सरकार द्वारा 21 जून को जारी अधिसूचना में हरिद्वार छोड़ शेष 12 जिलों में 19 जुलाई तक पूरी होनी थी चुनावी प्रक्रिया
देवभूमि टुडे
नैनीताल/चंपावत। उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़ शेष 12 जिलों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने 23 जून को सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया। बागेश्वर जिले के गणेश दत्त कांडपाल और कुछ अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पाया कि आरक्षण रोटेशन की प्रक्रिया नियमों के अनुरूप नहीं हुई है। इसके साथ ही अदालत ने उत्तराखंड सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उत्तराखंड सरकार ने 9 जून को पंचायत चुनावों के लिए नई नियमावली जाीर की और दो दिन बाद 11 जून 2025 को एक आदेश के जरिए पहले लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित करते हुए नई रोटेशन प्रक्रिया लागू कर दी।
वैसे सोमवार पूर्वान्ह से नामांकन पत्रों की बिक्री होनी थी। चंपावत जिले के त्रिस्तरीय पंचायतों के पदों के लिए नामांकन पत्रों की बिक्री के काउंटर खोल दिए गए थे। अलबत्ता अभी कितने नामांकन पत्र बिके, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है। उत्तराखंड में 21 जून को त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव की अधिसूचना जारी हुई थी। 23 जून से नामांकन पत्रों की बिक्री और 10 जुलाई व 15 जुलाई को दो चरणों में वोटिंग और 19 जुलाई को मतगणना होनी थी। लेकिन अब इन सब पर ब्रेक लग गया है। चंपावत जिले में जिला पंचायत के 15, क्षेत्र पंचायत के 134 सदस्य और 312 ग्राम प्रधान के पद पर हैं। इनमें कुल 277 (जिला पंचायत में 6, क्षेत्र पंचायत में 79 व ग्राम प्रधानों में 189) पद आरक्षित हैं। जबकि 184 पद अनारक्षित हैं। इसके अलावा 2200 से अधिक ग्राम पंचायत सदस्यों के पद हैं।

