नई टेंडर नियमावली से खफा ठेकेदार…ज्ञापन दिया

चंपावत में राजकीय ठेकेदार संघ ने CM कैंप कार्यालय के जरिए मुख्यमंत्री व पालिकाध्यक्ष से की मांग
ठेकेदारी रजिस्ट्रेशन में EPF की अनिवार्यता खत्म करने की भी मांग की
देवभूमि टुडे
चंपावत। राजकीय ठेकेदार नई टेंडर नियमावली से नाराज है। ठेकेदार संघ के नेता व राज्य आंदोलनकारी मंदीप ढेक का कहना है कि ये नियमावली स्थानीय छोटे ठेकेदारों के हित में नहीं है। इसे लेकर संघ ने आज 26 अगस्त को CM कैंप कार्यालय के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है।
संघ का कहना है कि नगर पालिका निकायों में छोटे ठेकेदारों से ठेकेदारी रजिस्ट्रेशन में EPF प्रमाणपत्र की अनिवार्यता की गई है। वहीं अन्य राजकीय निर्माण कार्य करवाने वाले विभागों में अनुभव प्रमाण पत्र 25% से बढ़ाकर 80% कर दिया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि पूर्व में लोनिवि 1.50 करोड़ रुपये तक के रोड के कार्य को बिना अनुभव के आधार पर सिंगल बिड पर होते थे। साथ ही 3 वर्ष के टर्नओवर के आधार पर होने वाले टेंडर की समय सीमा भी बढ़ाकर अब 5 वर्ष कर दी गई है। ज्ञापन में मांग की गई है कि 50 लाख तक के कार्य ऑफ लाइन निविदा के आधार पर किए जाए, ताकि स्थानीय ठेकेदारों को कार्य मिल सके। पूर्व में सरकार के कैबिनेट मीटिंग में 10 करोड़ तक के कामों को स्थानीय ठेकेदारों द्वारा कराने का निर्णय भी लिया था। ठेकेदार संघ ने टेंडर नियमावली को बदलाव को निरस्त कर पूर्व की नियमावली से निर्माण कार्य कराने का आग्रह किया है। ऐसा नहीं होने पर उनके बेरोजगार होने के खतरे से लेकर स्थानीय रोजगार पर असर पड़ेगा।
वहीं नगर पालिका में पंजीकृत ठेकेदारों ने ठेकेदारी रजिस्ट्रेशन में EPF की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग नगर पालिकाध्यक्ष प्रेमा पांडेय से भी की है। ज्ञापन देने वालों में राजकीय ठेकेदार संघ की मंदीप ढेक, प्रकाश चंद्र भट्ट, नवीन चंद्र उप्रेती, रितेश तड़ागी, गिरीश जोशी, अनिल सिंह, अजय सिंह महर, विकास सिंह कुंवर आदि के हस्ताक्षर हैं।

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