गीता सिर्फ धर्मग्रंथ नहीं…निष्काम कर्म ही धर्म है, धर्मपथ और कर्मपथ का संगम भी कराता है

गीता जयंती पर चंपावत जिले में चंपावत, देवीधुरा सहित कई स्थानों पर हुए कार्यक्रम
कूर्मांचल एंग्लो संस्कृत विद्यालय के 1958 के छात्र पंडित पूरन चंद्र तिवारी को डीएम ने किया सम्मानित
देवभूमि टुडे
चंपावत/देवीधुरा/टनकपुर। चंपावत जिले में संस्कृत विद्यालय सहित कई स्थानों पर गीता जयंती उल्लास से मनाई गई। कूर्मांचल एंग्लो संस्कृत विद्यालय में मुख्य अतिथि डीएम नवनीत पांडेय ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता जीवन दर्शन है, जीवन जीने की सच्ची पथ प्रदर्शक है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता के ज्ञान को जीवन में उतारने से इंसान सुख-दुखों में समवर्तन भाव से जीता है। विशिष्ट अतिथि डॉ. डीएन तिवारी ने कहा कि गीता जिंदगी को जीने की सरल राह सीखाती है।
मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीश चंद्र पांडेय ने कहा कि गीता सिर्फ धर्मग्रंथ नहीं है, यह धर्म पथ और कर्म पथ का संगम कराता है। निष्काम कर्म ही धर्म है, इसे सीखाता है, बताता है। भगवान कृष्ण ने आज से करीब 5 हजार साल पूर्व मार्गशीष के शुक्ल पक्ष एकादशी को युद्ध के मैदान में अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था। दरसल युद्ध ही नहीं, जीवन भी एक जंग है, चुनौती है। जिसे जीतने के लिए गीता इंसानी इंस्ट्रक्शन मैन्युल है। इसी संस्कृत विद्यालय के 1958 के छात्र पूर्णागिरि धाम के पुजारी पंडित पूरन चंद्र तिवारी को डीएम ने सम्मानित किया।
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ. बीसी जोशी के संचालन में हुए कार्यक्रम में कूर्मांचल एंग्लो संस्कृत विद्यालय के अध्यक्ष पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता अमरनाथ वर्मा, प्रबंधक एडवोकेट शंकर दत्त पांडेय, कोषाध्यक्ष दिलीप सिंह मेहता, चंपावत की निवर्तमान ब्लॉक प्रमुख रेखा देवी, बाराकोट की निवर्तमान प्रमुख विनीता फत्र्याल, प्रधानाचार्य उमापति जोशी, हरीश पांडेय, पूरन चंद्र तिवारी, घनश्याम पांडेय, ललित प्रसाद पंत, जन कवि प्रकाश जोशी शूल आदि मौजूद थे। छात्रों ने गीता पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम किए। चंपावत के अलावा मां वाराही धाम देवीधुरा के संस्कृत महाविद्यालय, टनकपुर के दयानंद इंटर कॉलेज सहित कई जगह गीता जयंती के कार्यक्रम हुए।

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