दावाग्रि काल खत्म, लेकिन जंगलों पर खतरा नहीं हुआ खत्म

जंगल को बचाने के सभी एहतियाती उपाय बारिश शुरू होने तक बरकरार रहेंगे
पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा जंगलों को इस बार नुकसान पहुंचा
आग की 79 घटनाओं में 73 हेेक्टेयर जंगल प्रभावित
देवभूमि टुडे
चंपावत। 15 फरवरी से शुरू दावाग्रि अवधि औपचारिक रूप से 15 जून को खत्म हो गई। लेकिन भीषण गर्मी की तपिश अभी भी बनी हुई है। शनिवार को भी चंपावत के पहाड़ों में ही पारा आसमान छू रहा था। चंपावत में 33 डिग्री सेल्सियस तापमान था। जाड़ों में कम बारिश और भीषण गर्मी के चलते इस बार जंगलों पर आग की मार खूब पड़ी। वर्ष 2024 में आग की 70 घटनाओं में 73.54 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। जबकि पिछले साल महज 20 घटनाओं में 12.50 हेक्टेयर जंगल जला था। बीते चार वर्षों में इस बार सबसे ज्यादा जंगल जले हैं।
चंपावत के प्रभागीय वनाधिकारी आरसी कांडपाल का कहना है कि गर्मी के मद्देनजर जंगलों की हिफाजत के बंदोबस्त फिलहाल जारी रहेंगे। सभी 53 कू्र स्टेशनों को बारिश शुरू होने तक संचालित रखेगा। चंपावत क्षेत्र में आरक्षित, पंचायती और सिविल तीनों तरह के जंगल करीब 95 हजार हेक्टेयर हैं।
वहीं लोहाघाट के फोर्ती वन पंचायत में आग धधकना जारी है। बेकाबू लपटों से चीड़, देवदार, बांज, उतीश, चाय पत्ती, फल्यांठ, चारा पत्ती, औषधियुक्त पेड़ पौधों को काफी नुकसान पहुंचा है। दावाग्रि से क्षेत्र में धुंध छाई हुई है। राईकोट के चंदा वन के जंगलों में शनिवार की दोपहर आग लगने से वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। लंबे समय से बारिश नहीं होने से जंगलों की नमी पूरी तरह सूख गई है, जिसके कारण पिरुल व सूखी घास आगे भड़काने में बारूद का काम कर रही है।
दावाग्रि की घटनाएं:
वर्ष- घटनाएं- प्रभावित क्षेत्र (हेक्टेयर में)
2020: 8- 7.50
2021: 73- 57.77
2022: 80- 52.25
2023: 20- 12.50
2024: 70- 73.54

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