चंपावत जिले में किसी मृतक के परिजनों ने पहली बार दान की आंखें
‘मैं तो अनंत ज्योति में विलीन हो गयी हूँ अब मेरी आंखों से वह लोग संसार को देखेंगे जिनकी दृष्टि नहीं है’- हरिप्रिया
राज्य आंदोलनकारी स्वर्गीय हीरा बल्लभ गहतोड़ी की धर्मपत्नी की पहल से नेत्रदान करने के लिए खुलेगी समाज की आखें
देवभूमि टुडे
चंपावत/लोहाघाट। ‘मैं तो अनंत ज्योति में विलीन हो गई हूं, अब मेरी आंखों से नेत्रहीन लोग दुनिया को देखेंगे’। ये उद्गार थे राज्य आंदोलनकारी स्वर्गीय हीरा बल्लभ गहतोड़ी की दिवंगत पत्नी हरिप्रिया गहतोड़ी (75) के। कल 6 नवंबर को बुजुर्ग हरिप्रिया ने अस्वस्थ के बाद अंतिम सांस ली। चंपावत जिले में संभवत: ये पहला मौका है, जब किसी मृतक के परिजनों ने अपने प्रियजन की नेत्र को दान किया।
लोहाघाट के हथरंगिया की हरिप्रिया गहतोड़ी का बीमारी के बाद निधन हो गया। पिछले कुछ महीनों से बीमार बुजुर्ग हरिप्रिया पहले चंपावत जिला अस्पताल में भर्ती थी। उसके बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से ऋषिकेश एम्स ले जाया गया था। कल उन्होंने अंतिम सांस ली। संसार से विदा होते समय वह अपनी दोनों आंखें उन लोगों के लिए दान कर गई, जिनके लिए दुनिया को देखना एक सपना था।
उनकी इच्छा के मुताबिक परिजनों ने शवदाह करने से पूर्व 7 नवंबर को लोहाघाट उप जिला अस्पताल के नेत्र सर्जन डॉ. विराग राठी के जरिए कॉर्नियां (आंखें) निकाली। इन कार्नियां को रुद्रपुर से विशेष रूप से आए महाराजा अग्रसेन ग्लोबल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित मित्तल नेत्रदान केंद्र को दान किया गया। जिनके दो प्रतिनिधि डॉक्टर राठी की पहल पर यहां आए थे।
हरिप्रिया अपने पीछे तीन बेटियों को छोड़ गई हैं। प्रमुख समाजसेवी एवं तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित रीता गहतोड़ी और अंजू गहतोड़ी ने माता-पिता की सेवा के लिए विवाह नहीं किया। जबकि सबसे छोटी बेटी करुणा शिक्षिका हैं। तीनों बेटियों ने मां हरिप्रिया की अंत तक सेवा की और निधन के बाद सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ते हुए मां के शव को कंधा देकर चिता को मुखग्नि दी। तीनों बहने पूर्व में अपने पिता का भी ऐसे ही अंतिम संस्कार व क्रियाकर्म किया था। हरिप्रिया की अंतिम शव यात्रा में बड़ी संख्या में शामिल लोगों ने अंतिम विदाई दी। राज्य आंदोलनकारी नवीन मुरारी, भाजपा के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र पांडे, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सचिन जोशी, शिक्षक नेता गोविंद सिंह बोरा, जिला पत्रकार संगठन के अध्यक्ष चंद्रबल्लभ ओली आदि तमाम लोगों का रुख उनके आवास की ओर हो गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, विधायक खुशाल सिंह अधिकारी, पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय, डीएम नवनीत पांडे, सीएमओ डॉ. देवेश चौहान, ब्लॉक प्रमुख नेहा ढेक, विनीता फर्त्याल, सुमनलता, रेखा देवी, एनआरआई राज भट्ट, हरगोविंद बोहरा, जनकवि प्रकाश जोशी शूल आदि ने हरिप्रिया के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दूसरों के लिए अपने नेत्र देने वाली स्नेही महिला को हमारा शत-शत प्रणाम।
नेत्रदान करने वाली जिले की पहली महिला हरिप्रिया के कारण और दृष्टिहीनों के लिए संसार देखने का मौका मिल सकेगा। नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. विराज राठी द्वारा अब नेत्रदान करने वाले किसी भी दानवीर के शरीर त्यागने के बाद उनकी इच्छानुसार उनका स्थानीय स्तर पर कॉर्निया (आँख) निकालकर उसे सुरक्षित रखना संभव हो गया है। जिसके लिए सीआर मित्तल नेत्रदान केंद्र द्वारा उन्हें संसाधन उपलब्ध कराए गए। जब तक रुद्रपुर से नेत्र बैंक की टीम यहां पहुंची, तब तक मीडिया में यहां कॉर्निया सुरक्षित रहेगा।