‘वन पंचायतों को अधिकार वनों की सुरक्षा के लिए जरूरी’

वन पंचायत संघर्ष मोर्चा एवं रेडा संस्था के तत्वावधान में हुई बैठक में वन पंचायतों के इतिहास एवं चुनौतियों पर हुआ मंथन
वन पंचायतों के प्रति उदासीन रवैया अपना रही सरकार
देवभूमि टुडे
चंपावत। वन पंचायत सरपंचों ने वन पंचायतों के प्रति उदासीन रवैये का आरोप लगाया है। वन पंचायत सभागार में वन पंचायत संघर्ष मोर्चा एवं रेडा संस्था के तत्वावधान में आज 18 अक्टूबर को हुई बैठक में वन पंचायतों के इतिहास एवं वर्तमान चुनौतियां विषय पर हुई चर्चा में वक्ताओं ने वन पंचायतों के सम्मुख मौजूदा समय में आ रही कठिनाइयों पर मंथन किया। कहा कि वन पंचायतों को अधिकार संपन्न किए बिना पंचायती वनों की सुरक्षा संभव नहीं है।
वरिष्ठ सरपंच दान सिंह कठायत की अध्यक्षता और प्रेम चंद के संचालन में हुई बैठक में चंपावत, बाराकोट, पाटी और लोहाघाट विकासखंड से 78 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में जड़ीबूटी, झूला आदि की रॉयल्टी के भुगतान में देरी और कमी, माइक्रोप्लान (सूक्ष्म योजना) को लागू करने में आने वाली बाधाओं और वन पंचायत चुनावों में हो रही अनियमितताओं पर मंत्रणा की गई। वन पंचायत सरपंचों के मानदेय पर चर्चा करते हुए निर्णय लिया गया कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में प्रदेश स्तरीय वन पंचायत सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सड़क से लेकर अदालत तक, हर स्तर पर वन पंचायतों के अधिकारों के लिए संघर्ष की रणनीति तैयार करना है।
बैठक में वन पंचायतों के गौरवशाली इतिहास की जानकारी देते हुए वन अधिकार कानून को वन पंचायतों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में रेखांकित किया गया। इस कानून के अंतर्गत वन पंचायतों को मिलने वाले होने वाले लाभ की जानकारी दी गई। बैठक में सरपंच जगत सिंह महर, मुकेश सिंह, विनोद सिंह, सुरेश चंद्र खर्कवाल, राजेंद्र सिंह भंडारी, नारायण सिंह बोहरा, लक्ष्मण सिंह, जगदीश चंद्र आदि ने विचार रखे।

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