नेपाल सीमा से लगे पंचेश्वर घाट में होगी इसकी शुरुआत, लगाया जा रहा प्लांट, 5 क्विंटल लकड़ी के बजाय 2.50 क्विंटल बायोमास ब्रिकेट्स की होगी जरूरत, पर्यावरण की भी होगी हिफाजत देवभूमि टुडे
चंपावत/पंचेश्वर। शवदाह के लिए लकड़ियों की कमी का विकल्प खोज लिया गया है। फिलहाल नेपाल सीमा से लगे पंचेश्वर के घाट में लकड़ी के बजाय बायोमास ब्रिकेट्स से शवों का अंतिम संस्कार किया जाएगा। शवदाह स्थल में मुंबई की एक संस्था ने प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। करीब 5 क्विंटल लकड़ी के बजाय 2.50 किलो बायोमास ब्रिकेट्स से शवदाह हो जाएगा। साथ ही बायोमास ब्रिकेटस प्लांट लगाने से पर्यावरण को भी लाभ होगा। पंजाब रिन्यूवेल इनर्जी सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के सह अध्यक्ष अनुराग वेद प्रकाश वर्मा के मुताबिक संस्था बीते 12 साल से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही है। संस्था के सीएमडी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) मोनीश आहूजा के दिशा निर्देशन पर संस्था की ओर से बनाए गए बायोमास ब्रिकेट्स का इस्तेमाल महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, गोवा आदि राज्यों के श्मशान घाटों के शवदाह गृहों में किया जा रहा है। अब संस्था उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इसका प्रयोग करेगा। वेद प्रकाश वर्मा ने बताया कि उत्तराखंड में किए जा रहे प्रयोग के पहले चरण में चंपावत जिले के पंचेश्वर घाट का चयन किया है। जहां पर एक स्टील का पायर लगा दिया गया है। जिसके तहत बायोमास ब्रिकेट्स से शवदाह किया जाएगा। बायोमास की उपयोगिता को देखते हुए कई राज्यों के प्रदूषण बोर्ड ने पालिकाओं को बायोमास के प्रयोग के लिए दिशा निर्देशित किया है। बायोमास के प्रयोग से पर्यावरण सुरक्षित रहने के साथ पेड़ों को होने वाले नुकसान में कमी आएगी। इससे भूखस्खलन को रोकने में सहायता मिलेगी और किसानों को भी अतरिक्त आय मिलेगी। सरपंच भवानी देवी, गोपाल सिंह, युवक मंगलदल अध्यक्ष कमल सिंह सामंत, गणेश सिंह आदि ने पंचेश्वर में बायोमास ब्रिकेट्स को उपयोगी बताते हुए इसको स्थापित करने के लिए संस्था का आभार जताया है।