
नई टेंडर नीति पर भड़के ठेकेदारों ने चंपावत लोनिवि परिसर में की नारेबाजी
सरकार से निर्णय वापस लेने की मांग
देवभूमि टुडे
चंपावत। राजकीय ठेकेदार नई टेंडर नियमावली से खफा है। इसे लेकर आज 28 अगस्त को लोक निर्माण विभाग चंपावत परिसर में हुई बैठक में ठेकेदारों ने नई टेंडर नीति का विरोध करने का ऐलान किया। तय किया गया कि जब तक ठेेकेदारों के हित में निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक कोई भी ठेकेदार टेंडर प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनेगा और नहीं निर्माण कार्य करवाएगा। इस दौरान ठेकेदारों ने नई नीति वापस लेने की मांग करते हुए नारेबाजी भी की।
राजकीय निर्माण कार्य करवाने वाले विभागों में अनुभव प्रमाण पत्र 25 से बढ़ाकर 80 प्रतिशत कर दिया गया है। टर्नओवर 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 200 प्रतिशत किया गया है। कई ठेकेदार को काम से वंचित होना पड़ेगा। बार-बार अधिदेयता प्रमाणपत्र देने की बाध्यता को भी वापस लेने की मांग की। कहा कि इस प्रमाणपत्र के लिए हर टेंडर प्रक्रिया के बाद जीएसटी कार्यालय जाना पड़ता है। इससे ठेकेदारों को आर्थिक नुकसान उठाने के साथ उनके समय की भी बर्बादी होगी। वक्ताओं ने कहा कि इस नीति से छोटे ठेकेदारों की आजीविका प्रभावित होने के साथ स्थानीय रोजगार घटेंगे।
ठेकेदार यूनियन के अध्यक्ष बने मंदीप ढेक
इस मौके पर सर्वसम्मति से ठेकेदार यूनियन का गठन भी किया गया है। राज्य आंदोलनकारी और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मंदीप ढेक को अध्यक्ष बनाया गया है। राजेश गिरी महामंत्री होंगे। यूनियन के अध्यक्ष मंदीप ढेक ने ठेकेदारों के हितों के लिए कार्य करने का आश्वासन दिया। इस मौके पर अनिल बोहरा, प्रकाश चंद्र भट्ट, हरीश चंद्र जोशी, मनीष पांडेय, रितेश तड़ागी, जगदीश पांडेय, नंदाबल्लभ कापड़ी, कुलदीप महराना, दिनेश जोशी, अशोक पुनेठा, बसंत तड़ागी, किशोर खर्कवाल, बलवंत महराना आदि ठेकेदार मौजूद थे।

