मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाले चंपावत जिले की सेहत बे-पटरी
स्वास्थ्य विभाग की हीलाहवाली से बिगड़ रहे हालात
देवभूमि टुडे
चंपावत। नेपाल सीमा से लगे तल्लादेश के कारी गांव में 1 अक्तूबर को टिप्पर खाई में लुढ़का। दो लोगों की मौत हुई और चार मजदूर जख्मी हुए। हादसे वाले दिन तल्लादेश के मंच अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का समूचा स्टाफ नदारद। अस्पताल की बदहाली की ये एक बानगी भर है। अस्पतालों की ऐसी दुर्दशा की शिकायतें दूरदराज के एक नहीं, कई अस्पतालों में गाहे-बेगाहे आती रहती हैं, लेकिन विभागीय चुप्पी से हालत संवरने के बजाय बिगड़ रहे हैं। ऐसी नौबत दूरदराज ही नहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्वाचन क्षेत्र वाले चंपावत जिले के सबसे बड़े अस्पताल के भी हैं। चंपावत जिला अस्पताल में एक लाख से अधिक महिलाओं के इलाज के लिए गायनोकॉलोजिस्ट नहीं है। इसी तरह जिले में 70 हजार से अधिक बच्चों के इलाज के लिए लंबे समय से विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है। एसीएमओ डॉ. सीएस भट्ट जरूर अपने मूल काम से समय निकाल इलाज कर बच्चों का इलाज कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अल्मोड़ा से एक गायनोकॉलोजिस्ट की चंपावत में स्थानांतरण आदेश हुए हैं।
शासन ने इस साल जुलाई में टिहरी से एक बाल रोग विशेषज्ञ को चंपावत स्थानांतरित करने के आदेश किए थे, लेकिन उन्होंने यहां ज्वाइन नहीं किया। चंपावत जिले के ऐसे ही स्वास्थ्य मामलों पर जानकारी लेने पर सीएम देवेश चौहान भड़क गए। उनका कहना है कि वे किस-किस को जानकारी देंगे। क्या वे पोर्टलों को ही जानकारी देते रहेंगे। विभाग मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र वाले जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के स्थान पर पर्देदारी कर रहा है, ऐसे लोगों की ओर से आरोप लग रहे हैं। उनका कहना है कि जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती नहीं होने से रेफरल मामले बढ़ रहे है, लेकिन विभाग प्रभावी कदम उठाने के बजाय बहानेबाजी कर रहा है।
ये हैं चंपावत जिले की बीमार सेहत की बानगी:
1.जिला अस्पताल सहित चंपावत जिले में किसी भी अस्पताल में गायनोकॉलोजिस्ट नहीं।
2.जिले के 70 हजार बच्चों के इलाज के लिए एक भी बाल रोग विशेषज्ञ नहीं।
3.लोहाघाट उप जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के परीक्षण की सुविधा सप्ताह में तीन दिन नहीं।
4.जिले के किसी भी उप जिला अस्पताल में सर्जरी की सुविधा नहीं।
5.चंपावत जिले के दोनों ट्रॉमा सेंटरों का नहीं हो रहा संचालन।