प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना और ग्रामीण सड़क योजना में धीमी गति से रैंकिंग में आई गिरावट
एक साल पहले तीसरे नंबर पर था
देवभूमि टुडे
चंपावत। बीसूका (बीस सूत्रीय कार्यक्रम) में चंपावत जिले की रैंकिंग में जबर्दस्त गिरावट आई है। 2023-24 में चंपावत जिला बीसूका में 8वें नंबर पर आया है। जबकि एक साल पहले उसकी रैंकिंग तीसरी थी। बीसूका में ऊधमसिंह नगर 95.96 प्रतिशत अंकों के साथ सबसे आगे रहा। जबकि देहरादून 95.10 प्रतिशत के साथ दूसरे और बागेश्वर 93.94 प्रतिशत नंबरों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्वाचन क्षेत्र वाले चंपावत जिले को उत्तराखंड का पहला मॉडल जिला बनाने की कवायद चल रही है। इस दिशा में आधारभूत सुविधाओं से लेकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इजाफा और स्वरोजगार परक योजनाओं को तेजी से लागू किए जाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन गरीबी उन्मूलन, उत्पादकता बढ़ाने, आय की असमानता कम करने, सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को दूर करने के लिए काम करने वाले बीस सूत्रीय कार्यक्रम में चंपावत जिले ने मायूस किया है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग की ओर से जारी रैंकिंग में चंपावत जिले को आठवां स्थान मिला है। उसे 96 में से 85 अंक यानी 88.54 प्रतिशत अंक मिले हैं। 26 मदों में A, 3 मदों में B और 2 मदों में D श्रेणी मिली है। प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में जिले का प्रदर्शन लक्ष्य के सापेक्ष 55 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ सका। चंपावत जिले को 2022-23 में चंपावत जिले को तीसरा स्थान मिला था।
बीसूका के प्रदर्शन को मुख्य रूप से गरीबी हटाओ, किसान मित्र, खाद्य सुरक्षा, सबके लिए आवास, शुद्ध पेयजल, जन-जन का स्वास्थ्य, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण, अल्पसंख्यक व पिछड़ा वर्ग कल्याण, महिला कल्याण, पर्यावरण व वन वृद्धि, ग्रामीण सड़क, ग्रामीण ऊर्जा, लघु उद्योग, राष्ट्रीय बचत, लघु उद्योग आदि के प्रदर्शन से आंका जाता है।
अधिक लक्ष्य भी रैंकिंग में पिछडऩे की वजह: DSTO
चंपावत के जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी दीप्तकीर्ति तिवारी का कहना है कि चंपावत जिले की रैंकिंग में गिरावट की वजह दो योजनाओं में अत्यधिक लक्ष्य दिया जाना रहा। इन दोनों मदों के लक्ष्य को कम करने के लिए पत्र भी भेजा गया था। प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना में 1600 गर्भवती महिलाओं को लाभांवित करने का लक्ष्य था। इसके सापेक्ष उपलब्धि 785 रही। इसी तरह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 53.30 किलोमीटर सड़क का निर्माण होना था, लेकिन लक्ष्य के सापेक्ष महज 28.30 किलोमीटर निर्माण हो सका। सड़क के लक्ष्य में मौसम और मानसून काल आड़े आया।