
मां बाराही धाम देवीधुरा में कल 9 अगस्त को होगी बगवाल
बगवाल को लेकर प्रशासन ने की सभी तैयारी
देवभूमि टुडे
चंपावत/देवीधुरा। मां वाराही धाम देवीधुरा में आषाड़ी कौतिक के दिन कल 9 अगस्त को बगवाल होगी। बगवाल खोलीखांड दुबाचौड़ मैदान में फल-फूलों से खेली जाएगी। 4 खाम (चम्याल, गहड़वाल, लमगड़िया व वालिग) और 7 थोक के योद्धा बगवाल में शिरकत करेंगे। बगवाल के लिए योद्धाओं के फर्रे तैयार है। पीठाचार्य पंडित कीर्ति बल्लभ जोशी के मुताबिक बगवाल शुभ मुहूर्त के अनुसार अपरान्ह 1 बजे बाद शुरू होगी। डीएम मनीष कुमार और एसपी अजय गणपति ने बताया कि बगवाल की सभी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। शांति बनाए रखने के लिए पुलिस की पुख्ता व्यवस्था के अलावा सीसीटीवी से भी नजर रखी जाएगी। यातायात व्यवस्था के लिए रूट प्लान तैयार किया गया है।
मेला मजिस्ट्रेट नीतू डांगर व्यवस्था पर नजर रखी हुई हैं। सीएमओ डॉ. देवेश चौहान के मुताबिक बगवाल में चोटिल होने वाले योद्धाओं के तुरंत इलाज के लिए चिकित्सा शिविर लगाया गया है। बगवाल के दिन देवीधुरा और पाटी की शराब की दुकानें बंद रहेगी। जिला आबकारी अधिकारी आरएल शाह ने बताया कि देवीधुरा और पाटी की शराब की दुकानों को 8 अगस्त की रात को सील कर दिया जाएगा। बगवाली वीर खास रंग के साफे पहनेंगे। गहड़वाल खाम के योद्धा केसरिया, चम्याल खाम के योद्धा गुलाबी, वालिग खाम के सफेद और लमगड़िया खाम के योद्धा पीले रंग के साफे पहनकर बगवाल में शिरकत करेंगे।
बगवाल है नरबलि का विकल्प
चंपावत/देवीधुरा। क्षेत्र में रहने वाले चार प्रमुख खाम चम्याल, वालिग, गहड़वाल और लमगड़िया खाम के लोग पूर्णिमा के दिन पूजा अर्चना कर एक दूसरे को बगवाल का निमंत्रण देते हैं। पूर्व में यहां नरबलि दिए जाने का रिवाज था, लेकिन जब चम्याल खाम की एक वृद्धा केइकलौते पौत्र की बलि की बारी आई तो वंशनाश से बचने के लिए उन्होंने मां वाराही की तपस्या की। देवी मां के प्रसन्न होने पर वृद्धा कीसलाह पर चारों खामों के मुखियाओं ने आपस में युद्ध कर एक मानव बलि के बराबर रक्त बहाकर कर पूजा करने की बात स्वीकार ली। तभी से बगवाल का सिलसिला चला आ रहा है।
देवीधुरा में निकेत शुरू हुआ
चंपावत/देवीधुरा। मां वाराही धाम में 9 अगस्त को बगवाल खेली जाएगी। बगवाल से एक दिन पूर्व बृहस्पतिवार को निकेत (पूर्ण शुद्धता के साथ रहना) भी शुरू हो गया है। इसके अंतर्गत एक समय भोजन के साथ संयम और नियमों का पालन किया जाता है। वहीं बृहस्पतिवार को विशेष पूजा-अर्चना हुई। मंदिर के पीठाचार्य पंडित कीर्तिबल्लभ शास्त्री ने पूजा-अर्चना की रस्म निभाई। पूजा में चारों खाम के प्रतिनिधियों सहित तमाम श्रद्धालु शामिल थे।



