चंपावत के न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने सुनाया फैसला 7.50 लाख रुपये का चेक बाउंस होने का था आरोप देवभूमि टुडे चंपावत। यहां न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने धारा 138 परक्राम्य लिखत (एनआई) अधिनियम के मामले में एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में गुण-दोष के आधार पर बरी कर दिया है। अप्रैल 2022 के इस मामले में दीवान राम ने थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। दीवान राम का कहना था कि कमल ओली को निजी कार्य के लिए 7.50 लाख रुपये उधार दिए थे। जिसके एवज में उन्होंने इतनी ही रकम का एक चेक प्रदान किया था। इस चेक को दीवान राम ने बैंक में जमा कराया, लेकिन बैंक में चेक बाउंस हो गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दोनों पक्षों की दलील और विभिन्न साक्ष्यों के परीक्षण के बाद आठ अप्रैल को फैसला सुनाया। दीवान राम ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके, जिससे ये साबित हो कि कमल ओली ने दीवानी राम से रुपये लिए हैं। न्यायिक मजिस्ट्रेट जहाँ आरा खान ने साक्ष्य के अभाव और गुण-दोष के आधार पर कमल ओली को दोषमुक्त कर दिया। कमल ओली की ओर से पैरवी एडवोकेट पूजा अधिकारी ने की।
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