दिव्यांग हिम्मत सिंह…नाम के ही नहीं काम के भी हिम्मती

पांव से दिव्यांग फिर भी दूसरों को दे रहे कंप्यूटर का प्रशिक्षण
देवीधुरा क्षेत्र के रिखोली गांव के 28 साल के हिम्मत सिंह ने शारीरिक तकलीफों के बीच पेश की मिसाल
2022 में उन्हें राज्य दिव्यांग पुरस्कार और अब DM मनीष कुमार ने विषय परिस्थितियों में किए जा रहे कार्यों के लिए दिया प्रशस्ति प्रमाण पत्र
देवभूमि टुडे
चंपावत। जैसा नाम वैसा काम या कह सकते हैं कि यथा नाम तथा गुण। ये दोनों उक्ति देवीधुरा क्षेत्र के जिस युवा पर सही साबित होती है, उसका नाम है हिम्मत सिंह। जन्म से पांव से दिव्यांग होने के बावजूद पढ़ने की ललक इस कदर कि ना केवल खुद उच्च शिक्षा हासिल की, बल्कि दूसरों को भी कंप्यूटर में हुनरमंद बना रहे हैं। और अब उनकी इन्हीं खूबियों के चलते DM मनीष कुमार ने भी उन्हें प्रशस्ति पत्र दिया है।
मां बाराही धाम देवीधुरा क्षेत्र के रिखोली गांव के 28 साल के हिम्मत सिंह ने शारीरिक तकलीफों के बीच सचमुच मिसाल पेश की है। सड़क से 500 मीटर दूर के गांव में रहने वाले किसान पिता हरीश सिंह और गृहणी नंदी देवी की कमजोर माली हालत के बीच पढ़ाई की ललक को पूरा करने के लिए हिम्मत हल्द्वानी गए। हल्द्वानी के डिग्री कॉलेज से इतिहास से MA किया। तीन साल तक लालकुआं के एक निजी स्कूल में पढ़ाया भी। सरकारी नौकरी पाने के प्रयास सफल नहीं होने पर हिम्मत गांव लौटे और फिर अपने क्षेत्र देवीधुरा आकर कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र खोल ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को कंप्यूटर ज्ञान देने लगे। इस वक्त भी उनके इस केंद्र में कई युवा कंप्यूटर में हुनरमंद बन रहे हैं। इस सृजनशीलता के लिए वर्ष 2022 में उन्हें राज्य दिव्यांग पुरस्कार दिया गया। 2023 में उन्हें वीरभद्र सोसायटी देहरादून ने पुरस्कृत किया। और इस साल 30 सितंबर को DM मनीष कुमार ने विषय परिस्थितियों में किए जा रहे कार्यों के लिए प्रशंसा करते हुए प्रशस्ति प्रमाण पत्र दिया है। यकीनन हिम्मत ने अपनी हिम्मत और कर्मठता से कमजोर माली हालत को अपनी सृजनशीलता और रचनात्मकता के आड़े नहीं आने दिया।

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