
देवी रथों और जत्थों ने वातावरण को बनाया भक्तिमय, आस्था से झूमे श्रद्धालु
दर्जनों गांवों के लोगों ने लिया धार्मिक आयोजन में हिस्सा
देवभूमि टुडे
चंपावत/मडलक। नेपाल सीमा से लगे मडलक क्षेत्र के प्रसिद्ध वैष्णवी मेले में देवीरथों और जत्थों के समागन ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। कल भैया दूज के दिन सुबह मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। दोपहर में विभिन्न गांवों से आए देवी के जत्थों और रथों ने मडलक देवी मंदिर की परिक्रमा कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।
मेले में मडलक, सेलपेडू, सुनकुरी, मजपीपल, कन्टुकरा, सागर, धौनी बुंगा, गुरेली, चामा, डुंगरालेटी, रौलधौन, गुडमांगल, जमरसों, बड़म, केलानी, ककरतोला, सल्टा सहित दर्जनों गांवों के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। मेले का मुख्य आकर्षण मजपीपल, मडलक और देवी मैत बूंगा से निकले देवी रथ व जत्थे रहे। दोपहर दो बजे बगौटी से शुरू हुए जत्थे में सेल्ला, केलानी, सुनकुरी, रजवा आदि गांवों के सैकड़ों लोग शामिल हुए। दुर्गम पहाड़ियों को पार कर जत्था मजपीपल पहुंचा, जहां मजपीपल के देवी रथ के साथ इसका समागम हुआ। मडलक देवी मंदिर पहुंचकर जत्थों और डोलों ने मंदिर परिसर की परिक्रमा की, जिसमें मडलक और मजपीपल के जत्थे व देवी रथ शामिल थे। परिक्रमा के बाद रथ देमैत बुंगा की ओर रवाना हुए। वहां सागर गांव के सेल्ला लोगों ने मायके पक्ष की भूमिका निभाते हुए मां भगवती और काली के रूप में अवतरित डांगरों को वस्त्र भेंट किए। देव डांगरों ने मायके वालों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया। सागर गांव के लोगों ने रथों और जत्थों को विदाई दी। मडलक के मुख्य मंदिर पहुंचने पर देव डांगरों ने श्रद्धालुओं को दर्शन दिए और मनचाहा वरदान दिया। पुजारी चंद्रशेखर पांडेय ने पूजा-अर्चना कराई। विधायक खुशाल सिंह अधिकारी ने महोत्सव समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ. अमर सिंह कोटियाल, देवेंद्र पाटनी, चांद बोहरा रहे। मेला समिति के अध्यक्ष आनंद जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया। मेला समिति के सचिव दयाकिशन, पूर्व ग्राम प्रधान भुवन चंद्र भट्ट, डॉ. सतीश पांडेय, वासुदेव उपाध्याय, विक्रम सिंह, पूरन पंत, बद्री सिंह, संतोक सिंह रावत, दीपक जोशी, भुवन भट्ट, संतोक सिंह धौनी, भीम पंत, नमन पंत, किशोर रावत सहित कई लोग मौजूद थे।



