दवा से पहले डोली की है दरकार…बीमार बुजुर्गा को 15 किमी तक कंधे में लाए

बकोड़ा की 65 साल की कलावती देवी को बीमार होने पर 15 किमी तक युवाओं ने कंधे की मदद से सड़क तक मंच गांव पहुंचाया
तल्लादेश क्षेत्र में सड़क की कमी से बेहाल से सेहत का हाल
2012 में स्वीकृत है मंच-बकोड़ा सड़क लेकिन वन अनापत्ति आ रही है आड़े
देवभूमि टुडे
चंपावत/तल्लादेश। बस तीन दिन बाद देश आजादी की 79वीं वर्षगांठ मनाएगा। विकास के ढेरों दावों के बीच ढेरों ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। संदर्भ 12 अगस्त का है। ये तस्वीर मॉडल डिस्ट्रिक्ट के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे चंपावत जिले के तल्लादेश क्षेत्र की है। जहां एक बीमार महिला को 15 किलोमीटर तक एक डंडे के आसरे कंधे में ढोकर सड़क तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद रोड से 35 किलोमीटर दूर चंपावत के एक निजी अस्पताल लाया गया।
सड़क नहीं होना कितना तकलीफदेह होता है? इसे बकोड़ा के लोग कदम दर कदम जानते हैं। 12 साल पूर्व मंजूर होने के बाद भी मंच से बकोड़ा तक की रोड का काम शुरू नहीं हो सका है। बहरहाल आज 12 अगस्त की सुबह बकोड़ा गांव की कलावती (65) की अचानक तबीयत बिगड़ी। परिजनों के मुताबिक उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई, तो उन्हें गांव के लोगों की मदद से एक डंडे के आसरे अस्पताल तक लाया गया। ग्राम प्रधान रवींद्र रावत का कहना है कि कुछ युवाओं ने डोली तैयार की और फिर एक डंडे में कपड़ा बांधकर बुजुर्ग कलावती को बिठाया। बीच-बीच में हल्की बारिश के बीच बारी-बारी से युवाओं ने कंधा देकर 4 घंटे से अधिक समय में 15 किलोमीटर का रास्ता तय किया। मनीष बोहरा, प्रकाश बोहरा, राहुल बोहरा, मनोज, विनोद, नरेंद्र, दयाल, विकास आदि युवाओं की मदद से बीमार महिला को निजी अस्पताल तक लाया गया। इलाज के बाद महिला की तबीयत में मामूली सुधार है।
ग्रामीणों का कहना है कि बकोड़ा में न रोड है न कोई स्वास्थ्य की सुविधा है, पढ़ाई की व्यवस्था भी आठवीं तक है। मंच-बकोड़ा रोड 2012 में स्वीकृत होने के बावजूद आगे नहीं बढ़ सकी है। बस पैदल चलना उनकी किस्मत में है। उनकी जिंदगी घोड़े-खच्चरों के आसरे है। इसका नुकसान वक्त पर इलाज नहीं मिलने से लेकर कृषि उपज का दाम नहीं मिलने, ढुलान की वजह से सामान का महंगा होने से लेकर आठवीं से आगे की पढ़ाई के लिए 15 किलोमीटर दूर जाने की मजबूरी है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
लोक निर्माण विभाग चंपावत खंड के अधिशासी अभियंता मोहन चंद्र पलडिय़ा का कहना है कि मंच-बकोड़ा सड़क में वन अनापत्ति की अड़चन आ रही थी। अब एक महीने पूर्व इस सड़क को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में स्थानांतरित कर दिया गया है।
वहीं पीएमजीएसवाई चंपावत खंड के अधिशासी अभियंता त्रिभुवन नारायण बिष्ट का कहना है कि अभी इस सड़क की पत्रावली विभाग तक नहीं पहुंची है। पत्रावली आने के बाद इस सड़क का प्रस्ताव बनाकर भेजने के साथ वन अनापत्ति दूर करने की कार्यवाही की जाएगी।

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