
2014 में खुशाल सिंह अधिकारी बने थे जिला पंचायत अध्यक्ष और अब 2025 में उनके भतीजे आनंद सिंह अधिकारी बने अध्यक्ष
देवभूमि टुडे
चंपावत। पाटी के ब्लॉक प्रमुख की सीढ़ी से आगे बढ़ते हुए एक नेता महज 6 साल बाद 2014 में जिला पंचायत की सबसे ऊंची सियासी कुर्सी पर काबिज होते हैं और फिर 2022 में वे विधायक बन जाते हैं। इस ताकतवर शख्स का नाम है खुशाल सिंह अधिकारी, लोहाघाट के मौजूदा विधायक। और 11 साल बाद उनका भतीजा जिला पंचायत की कुर्सी पर विराजमान है। आनंद सिंह अधिकारी निर्विरोध रूप से अध्यक्ष बन जिले के पहले नागरिक बन गए हैं।
मौजूदा सियासी परिदृश्य में चंपावत जिले में सबसे ताकतवर सियासी परिवार में से सबसे शिखर पर अधिकारी परिवार है। खुशाल सिंह अधिकारी विधायक हैं। उनका बेटा शंकर सिंह अधिकारी क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं और जैसे मौजूदा समीकरण हैं, उनमें अगर कोई बड़ा उल्टफेर ना हुआ, तो उनका पाटी का ब्लॉक प्रमुख बनना तय लगता है। बहू भी बीडीसी सदस्य है। उनका भतीजा आनंद सिंह अधिकारी जिला पंचायत अध्यक्ष और दूसरे भतीजे की पत्नी आशा अधिकारी जिला पंचायत सदस्य। इस पूरी सफलता के सफर में सिर्फ एक पड़ाव पर ठहराव आया। वो था 2017 का विधानसभा चुनाव। लोहाघाट सीट के नतीजे को छोड़ दिया जाए, तो ये सियासी यात्रा कामयाबी की कहानी है।
सियासत में महराना परिवार की ताकत भी कम नहीं
चंपावत। चंपावत जिले में कई सियासी परिवार हैं, जिनकी मौजूदगी राजनीति के समीकरणों को प्रभावित करती है। चंपावत जिले में महराना परिवार का भी दमदार सियासी रसूख रहा है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य मुकेश महराना के चाचा दिवंगत मदन सिंह महराना चंपावत की जिला पंचायत के पहले अध्यक्ष रहे हैं। उनकी चाची 2007 में उत्तराखंड की मंत्री रही हैं। उनकी पत्नी निर्मला महराना दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य बनी हैं। 2008 में वे ब्लॉक प्रमुख भी रह चुकी हैं। लेकिन इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने की ख्वाईश पूरी नहीं हो सकी। इस पूरी सफलता की गाथा में 2019 के ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी का चुनाव अपवाद रहा। जिसमें मुकेश महराना को कड़े संघर्ष में शिकस्त मिली थी।

