
माह में सिर्फ एक आकस्मिक अवकाश पर एतराज जता रहे हैं अतिथि शिक्षक, पितृत्व अवकाश व बाल्य देखभाल अवकाश भी नहीं
देवभूमि टुडे
चंपावत। शिक्षा विभाग के आदेश को 26 जुलाई को आग के हवाले करने वाले माध्यमिक अतिथि शिक्षकों ने अब सिर्फ शिक्षण कार्य करने का निर्णय लिया है। अतिथि शिक्षकों ने 1 अगस्त से गैर शैक्षणिक कार्यों का बहिष्कार भी शुरू कर दिया है। पितृत्व अवकाश, बाल्य देखभाल अवकाश की व्यवस्था नहीं किए जाने से नाराज होकर ये निर्णय लिया गया है।
उत्तराखंड के शिक्षा निदेशक ने अतिथि शिक्षकों के अवकाश के संबंध में 22 जुलाई को एक आदेश जारी किया था। जिसमें अनुमन्य छुट्टियों से ज्यादा लेने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी। आदेश में कहा गया था कि अतिथि शिक्षकों को हर माह में एक दिन का आकस्मिक अवकाश देय है। इस अवकाश के अतिरिक्त मातृत्व अवकाश को छोड़कर शासनादेश में अन्य किसी भी प्रकार की छुट्टी देने का प्रावधान नहीं है। पितृत्व अवकाश, बाल्य देखभाल अवकाश का कोई जिक्र तक नहीं किया गया है। यहां तक कि बीमार होने की स्थिति में भी उनके लिए छुट्टी का प्रावधान नहीं है।
माध्यमिक अतिथि शिक्षक एसोसिएशन ने जिले के विभिन्न स्कूलों में शिक्षा निदेशक के आदेश की प्रतियों को 26 जुलाई को आग के हवाले किया था। और अब 1 अगस्त से किसी भी तरह की गैर शैक्षणिक कार्यों का बहिष्कार किया गया है। अतिथि शिक्षकों ने शीत अवकाश और ग्रीष्म अवकाश के दौरान का वेतन भी दिए जाने की मांग की है। एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष चंचल सिंह कुंवर, सचिव नीरज जोशी, कोषाध्यक्ष योगेश खर्कवाल, संरक्षक मोहन चिल्कोटी आदि ने कहा कि अतिथि शिक्षक अब सिर्फ शिक्षण कार्य ही करेंगे। चंपावत जिले में ही करीब 250 अतिथि शिक्षक सेवा दे रहे हैं।




