

12 दिनों तक चलेगा मेला, मेला क्षेत्र को 5 सेक्टरों में बांटा जाएगा, हर दुकान पर दुकान स्वामी का नाम स्पष्ट रूप से अंकित करना अनिवार्य, डीएम मनीष कुमार ने कहा-आस्था के मेले में श्रद्धालुओं को मिले अधिकतम सुविधाएं, बैठक में मेले की व्यवस्थाओं पर हुई चर्चा
देवभूमि टुडे
चंपावत/देवीधुरा। मां वाराही धाम की धरती देवीधुरा में फल-फूलों से खेली जाने वाली बगवाल इस बार 9 अगस्त को (रक्षाबंधन के दिन) खेली जाएगी। धर्म, मान्यता, पंरपरा और संस्कृति की अदभुत छटा बिखेरना वाला बगवाली मेला 5 अगस्त से शुरू होकर 16 अगस्त तक चलेगा। मेले की तैयारियों को लेकर मां वाराही धाम देवीधुरा के मंदिर परिसर में 8 जुलाई को डीएम मनीष कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में सुरक्षा सहित सभी जरूरी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने आस्था के इस मेले में श्रद्धालुओं को अधिकतम सुविधा देने के लिए सभी इंतजामात समय पर पूरा करने के निर्देश दिए।
मां बाराही धाम परिसर में हुई बैठक में व्यवस्थाओं पर मंथन हुआ। मेला क्षेत्र को 5 सेक्टरों में बांटा जाएगा, ताकि हर सेक्टर में सुरक्षा, पार्किंग, सफाई और भीड़ नियंत्रण की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित हो सके। जर्जर भवनों की पहचान कर उनकी छतों पर श्रद्धालुओं के चढ़ने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। भीड़ प्रबंधन, नियंत्रण कक्ष की स्थापना, चिकित्सा इकाइयों की तैनाती, अग्निशमन इकाई, जलापूर्ति, बैरिकेडिंग, सफाई कर्मियों की तैनाती, प्रकाश व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी आदि व्यवस्थाओं को माइक्रो प्लानिंग के जरिए समय से पहले पूरा करने की हिदायत दी। मेले में लगने वाली दुकानों का सत्यापन मेला शुरू होने से दो सप्ताह पूर्व शुरू किया जाएगा। हर दुकान पर दुकान स्वामी का नाम स्पष्ट रूप से अंकित करना अनिवार्य होगा और दुकानें नालियों से पीछे रहेंगी।
पुलिस अधीक्षक अजय गणपति ने बताया कि मेले के दौरान मेला क्षेत्र में सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त किया जाएगा। मेला क्षेत्र में महिला और खुफिया पुलिस भी तैनात रहेंगी। रोड साइड पार्किंग व्यवस्था को सुव्यवस्थित करते हुए यातायात को सुगम बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। चारों खामों के प्रतिनिधियों (गहरवाल, चम्याल, वालिग और लमगड़िया खाम) ने कहा कि बगवाल परंपरा और भव्यता से मनाई जाएगी। मंदिर की फूलों से भव्य सजावट के साथ आरती भी होगी। बैठक में पाटी की एसडीएम नीतू डांगर, मुख्य शिक्षाधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट, जिला पूर्ति अधिकारी, सीएमओ डॉ. देवेश चौहान, जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी कमलेश बिष्ट, मां बाराही मंदिर समिति के मुख्य संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया, मोहन बिष्ट, चेतन बिष्ट, खीम सिंह लमगड़िया, पंडित कीर्ति बल्लभ जोशी के अलावा चार खाम सात थोक के प्रतिनिधि शामिल थे।
बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय:
1.बगवाल फल और फूलों से खेली जाएगी।
2.बगवाल के दिन सभी चारों खाम अलग-अलग मंदिर परिसर में तीन-तीन परिक्रमा करने के बाद संयुक्त रूप से दो परिक्रमा करेंगे।
3.मेलावधि में मां बाराही देवी के मंदिर में सुबह-शाम आरती होगी। फूलों की मालाओं से मंदिर सजाया जाएगा।
4.मेले में दोपहिया वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा, जिससे पैदल श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम मार्ग मिल सके।
5.मेला क्षेत्र की सफाई के लिए पर्याप्त संख्या में पर्यावरण मित्र तैनात किए जाएंगे।
6.बगवाल से 4 दिन पहले देवीधुरा क्षेत्र के स्कूल बंद रहेंगे। इन स्कूलों के परिसर में टिकाया जाएगा।
7.बगवाल के दिन 9 अगस्त को वाहनों की आवाजाही मंदिर क्षेत्र वाले मार्ग पर प्रतिबंधित रहेगी। लोहाघाट-हल्द्वानी सड़क पर जाने वाले वाहन सीधे आगे बढ़ेंगे।
8.सांस्कृतिक टीमों के लिए संस्कृति और सूचना विभाग से आग्रह किया जाएगा।
9.मेला क्षेत्र में पॉलीथिन पर रोक लगेगी।
10.मेला क्षेत्र में नशा, मांसाहार आदि के उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा।
11.मेले में बहुउद्देश्यीय शिविर भी लगेगा। परंपरा निभाने को खेली जाती है बगवाल:
चारों खाम (चम्याल, गहरवाल, लमगड़िया और वालिग) सहित कुल सात थोकों के योद्घा रक्षाबंधन के दिन पूजा-अर्चना के बाद फल-फूलों से बगवाल खेलते हैं। माना जाता है कि पूर्व में यहां नरबलि दिए जाने का रिवाज था, लेकिन जब चम्याल खाम की एक वृद्धा के एकमात्र पौत्र की बलि के लिए बारी आई, तो वंशनाश के भय से बुजुर्ग महिला ने मां बाराही की तपस्या की। देवी मां के प्रसन्न होने के बाद बगवाल की यह परंपरा शुरू हुई। तभी से बगवाल का सिलसिला चल रहा है।




