

इम्तिहान सिर्फ सियासत का नहीं, मीडिया का भी
देवभूमि टुडे
कोर्ट द्वारा लगी रोक हटने के एक दिन बाद आज 28 जून को त्रिस्तरीय पंचायती चुनावी कार्यक्रम का ऐलान हो गया। अगले महीने की आखिरी तारीख को गांवों की सरकार के पहले दौरे की तस्वीर साफ हो जाएगी। 24 जुलाई और 28 जुलाई को दो चरणों के ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव होने के बाद नतीजे 31 जुलाई को घोषित हो जाएंगे। उसके बाद ब्लॉक प्रमुख, ज्येष्ठ उप प्रमुख व कनिष्ठ उप प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के लिए रस्साकस्सी रहेगी।
इन चुनावों में इम्तिहान सिर्फ राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों का ही नहीं होगा, बल्कि चुनाव को कवर करने वाले मीडिया का भी होगा। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, सोशल और अन्य माध्यमों की कवरेज का क्या स्तर होगा? इसे भी बारीकी से देखा, पढ़ा और सुना जाएगा। चुनाव से संबंधि कंटेट के हाल, inside story, खबरों को परोसने में निष्पक्षता को पाठक, श्रोता और दर्शक कसौटी में कसेंगे। मीडिया के ज्यादातर प्रतिनिधि तकनीकी रूप से आचार संहिता का तो पालन करते हैं, लेकिन बहुत से प्रतिनिधि बेहद चालाकी से निष्पक्षता की संहिता को साइड लाइन करते रहे हैं। कहीं विज्ञापन के रुपयों का प्रभाव, तो कहीं कोई पूर्वाग्रह, दुराग्रह, व्यक्तिगत पसंद-नापसंद का फेर पत्रकारिता के मानदंडों को दरकिनार करता है। इस बार क्या होगा? पत्रकार छवि बचाते हैं या छवि पर दाग? इसके लिए बेशक इंतजार करना होगा, लेकिन अब तक की शुरुआत चिंता पैदा करती है। कई सोशल मीडिया ग्रुप्स तो खुद-ब-खुद प्रत्याशियों के पैरोकारों के रूप में सामने आ गए हैं। ना भाव का पता ना भाषा का, बस महिमामंडन हो रहा है। ऐसा करना तकनीकी रूप से पीत पत्रकारिता के दायरे में भले ही ना आए, लेकिन पत्रकारिया एथिक्स तो कतई नहीं है। देवभूमि टुडे की नजर नियमित रूप से मीडिया की इन पक्षपाती कवरेज पर भी रहेगी। ऐसी कवरेज को सांकेतिक तरीके से रूबरू कराते हुए सच को सहेजने की कवायद रहेगी। निष्पक्षता के इस प्रयास के लिए सामूहिकता जरूरी है। इस प्रयास में पाठक साथ देंगे, ऐसी अपेक्षा है।

