धरना 1 दिन का असर 5 दिन तक…विशेषज्ञ डॉक्टर धरने के लिए कल होंगे रवाना

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में 10 अप्रैल से 5 दिनों तक नहीं मिल सकेगी विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा
अवकाश के लिए PMS को दिया पत्र
11 अप्रैल को देहरादून में धरना देंगे विशेषज्ञ डॉक्टर
देवभूमि टुडे
चंपावत। विशेषज्ञ डॉक्टरों की हड़ताल 1 दिन की होगी लेकिन इसका असर 5 दिन तक पड़ेगा। उत्तराखंड के अधिकांश पर्वतीय जिलों में 10 अप्रैल से पांच दिन तक विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं सरकारी अस्पतालों को नहीं मिल सकेगी। ये नौबत वेतन की विसंगति की वजह से है। इस दायरे में चंपावत जिले के पर्वतीय क्षेत्रों चंपावत और लोहाघाट में 21 विशेषज्ञ डॉक्टर हैं। आज 9 अप्रैल को PMHS (प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ) से जुड़े विशेषज्ञ चिकित्सकों ने चंपावत के प्रमुख चिकित्साधीक्षक डॉ. हीरा सिंह ह्यांकी को अवकाश के लिए पत्र दिया।
PMHS के प्रांतीय नेतृत्व के आह्वान पर वेतन विसंगति को लेकर उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों की तरह ही चंपावत जिले के पहाड़ी क्षेत्रों के विशेषज्ञ चिकित्सक भी देहरादून में 11 अप्रैल को धरना देंगे। इसके लिए विशेषज्ञ चिकित्सक 10 अप्रैल को चंपावत जिला अस्पताल व लोहाघाट उप जिला अस्पताल से देहरादून स्वास्थ्य महानिदेशालय के लिए रवाना होंगे। इस कारण अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सा सेवा पर कल से अगले 5 दिनों तक असर पड़ेगा। विशेषज्ञ चिकित्सकों की 12 अप्रैल को वापसी होगी। लेकिन 13 अप्रैल को रविवार और 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती का अवकाश होगा।
PMHS का कहना है कि दुर्गम और पर्वतीय जिलों में विशेषज्ञ चिकित्सक कठिन परिस्थितियों में सेवा दे रहे हैं, ऐसे में उन्हें पहाड़ी जिलों के राजकीय मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों की ही तरह अतिरिक्त वेतन दिया जाना चाहिए। इसे लेकर पिछले साल सरकार ने सहमति भी जताई थी, लेकिन आश्वासन के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं सरकार बांड वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों को 4 लाख रुपये का वेतन दे रही है। PMHS की जिला इकाई के उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार, सचिव डॉ. मनोज सिंह कुंवर, डॉ. हिमांशु पांडेय, डॉ. यशमोहन सोनी, डॉ. धनंजय पाठक, डॉ. राशी भटनागर, डॉ. लता, डॉ. कर्णिका पंत आदि शामिल थे।
जिला अस्पताल के PMS डॉ. ह्यांकी का कहना है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों के एक दिनी धरने का 14 अप्र्रैल तक असर रहेगा। इससे न केवल ओपीडी, बल्कि इमरजेंसी और विशेषज्ञ सेवाओं पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में अस्पताल की व्यवस्थाएं 15 अप्रैल से सामान्य हो सकेंगी।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की ये हैं प्रमुख मांगें:
1.पर्वतीय क्षेत्रों के राजकीय मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तरह ही सरकारी अस्पतालों में सेवा दे रहे विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी 50 प्रतिशत अतिरिक्त वेतन दिया जाए।
2.सुगम और दुर्गम क्षेत्रों का फिर से निर्धारण किया जाना चाहिए।
3.एसडीएनसीपी (स्पेशल डायनामिक एश्योरड करियर प्रोगे्रशन) में शिथिलीकरण का शासनादेश होने के बावजूद प्रकरण को लटकाया गया है।

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