जन का जंगल से जुड़ाव बचाएगा वन…वनाग्नि से बचाव को संवाद कार्यक्रम

पंचायती वनों में आग की घटना मानी जाएगी दैवीय आपदा
मीडिया कर्मियों से लिए गए वनाग्नि से निपटने को लेकर सुझाव
देवभूमि टुडे
चंपावत। वन विभाग की ओर से वनाग्नि की घटनाओं से निपटने को लेकर हुए संवाद कार्यक्रम में मीडिया कर्मियों से वनाग्नि रोकने के लिए सुझाव लिए गए। कार्यक्रम में ग्रीष्मकाल में जंगलों को आग से बचाव के लिए जन-जागरूकता के साथ वन पंचायतों एवं ग्रामीणों को जंगलों से जोड़ने के प्रयास पर जोर दिया गया। संवाद में यह तथ्य प्रमुख रूप से उभरा कि जब तक जंगल से जनता का जुड़ाव स्थापित नहीं होगा, जंगल जलने की घटनाओं पर काबू पाना मुश्किल होगा।
DFO नवीन चंद्र पंत की अध्यक्षता में हुए संवाद में वक्ताओं का कहना था कि जंगल से मानव का सदैव का जुड़ाव रहा है। पौधारोपण जब जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों की जरूरत के अनुरूप न होकर बाजार के अनुरूप होगा, तो वन और जन जुड़ाव प्रभावित होगा। वक्ताओं ने जंगल बचाने के लिए सराहनीय प्रयास करने वाली वन पंचायतों को प्रोत्साहित करने और हर वनाग्नि काल में एक-दो जंगल को आदर्श के रूप में विकसित करने पर जोर दिया। इसके अलावा आग लगाने वालों पर सख्ती करने, जंगल से पुराने पेड़ों की निकासी एवं नीलामी में पंचायत के जरूरतमंद को प्राथमिकता देने को कहा गया। DFO ने बताया कि इस बार सिविल व पंचायती वन क्षेत्र में भी क्रू स्टेशन बनाए हैं। पिछले वर्ष तक 54 क्रू स्टेशन होते थे, इस बार 76 क्रू स्टेशन से जंगलों की आग पर नजर रखने के साथ वनाग्नि नियंत्रण का प्रयास रहेगा। बताया गया कि अब पंचायती वनों में आग लगने की घटनाओं को दैवीय आपदा की श्रेणी में शामिल किया जाएगा। आरक्षित वन क्षेत्र के अलावा पंचायती वनों में आग लगने की सूरत में IRS सिस्टम प्रभावी होगा। अब तक वनों में आग लगने की घटनाओं को दैवीय आपदा की श्रेणी में नहीं रखा जाता था।
इस मौके पर उप प्रभागीय वनाधिकारी नेहा सौन, रेंजर हिमालय टोलिया, कैलाश गुणवंत, रमेश जोशी, आरके जोशी, पत्रकार गणेश दत्त पांडेय, चंद्रबल्लभ ओली, योगेश जोशी, सतीश जोशी, गणेश पांडेय, पंकज पाठक, गिरीश बिष्ट, सूरी पंत, दीपक शर्मा, गौरीशंकर पंत, नवल जोशी, जगदीश राय, हरीश उप्रेती आदि मौजूद थे।
चंपावत प्रभाग में 1.07 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र
हाथ टार्च के स्थान पर होगा हेडलैंप का प्रयोग
चंपावत। DFO नवीन चंद्र पंत ने बताया कि वन कर्मियों को वनाग्नि की रोकथाम के लिए जरूरी उपकरण दिए गए हैं। हाथ टार्च की जगह पहली बार हेडलैंप दिए हैं। हाथ खाली होने से कर्मचारी अच्छा काम कर सकेंगे। प्रभाग की 7 रेंज में 11 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में नियंत्रित दहन किया है। 553 हेक्टेयर में फायर लाइन काटी है। चंपावत प्रभाग में 1.07 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र है। इसमें 62,098 हेक्टेयर आरक्षित, 22,815 हेक्टेयर सिविल, 22,527 हेक्टेयर पंचायती वन हैं।

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